गुदड़ी का लाल बना अमर
- गुदड़ी का लाल बना अमर
- दोनों पैरों से दिव्यांग है मासूम अमर
- 12 साल का अमर बनाता है एक से बढ़कर एक मूर्तियां
- स्कूल में भी अच्छे नंबर लाता है अमर
- पूरा गांव अमर की प्रतिभा से है प्रभावित
- लोगों के लिए मिसाल बना विलक्षण अमर
- आर्थिक रूप से बेहद कमजोर है बच्चा
- पिता करते हैं मजदूरी. मां हैं गृहणी
- क्या योगी सरकार करेगी दिव्यांग अमर की मदद?
हिम्मते मर्दा मददे खुदा... और मन के हारे हार है मन के जीते जीत..
कुछ इन्हीं पंक्तियों को असली जामा पहना रहा है.. अमेठी के दादरा गांव का रहने
वाला अमर... अमर पैरों से दिव्यांग है लेकिन उसके हौसलों की उड़ान इतनी ऊंची है..
कि परिंदा भी शरमा जाए.. अमर स्कूल जाता है.. अच्छे नंबर लाता है और मूर्तिकारी भी
करता है..
दादरा गांव का रहने वाला 12 साल का अमर
बचपन से ही दोनों पैरों से दिव्यांग है.. अमर दादरा के एक स्कूल में आठवीं का
छात्र है.. अमर की दिव्यांगता उसके काम में बाधा नहीं बन रही है.. अमर ट्राइसाइकिल
चलाकर स्कूल जाता है और स्कूल में वो हमेशा चौथी रैंक पर रहता है.. अमर ना केवल
पढ़ाई में तेज है.. बल्कि वो एक अच्छा मूर्तिकार है.. तस्वीरों में आप खुद देख लें
कि भले ही अमर घिसटघिसट कर चलता हो.. लेकिन वो कहीं से भी निराश नहीं है.. उसके
हौंसले बुलंद है.. अमर के पिता एक मजदूर हैं वहीं उसकी माता गृहणी हैं.. कहानी
यहीं नहीं खत्म होती है.. अमर ना केवल घर का काम करता है.. बल्कि ट्राइसाइकिल
चलाकर घर के लिए सब्जी भी लाता है.. अमर की प्रतिभा के कायल केवल उसके साथ पढ़ने
वाले छात्र ही नहीं हैं बल्कि उसको पढ़ाने वाले शिक्षक भी उसकी प्रतिभा का लोहा
मानते हैं..
अमर के घर की आर्थिक हालत बेहद खराब है..
उसके पिता जय प्रकाश मजदूरी करते हैं.. घर का खर्च बड़ी मुश्किल से चलता है.. वहीं
उनका बेटा भी दिव्यांग हैं.. इसलिये वो कभी कभी निराश हो जाते हैं.. वहीं अमर अपने
हौसलों से रोज नई नई इबारत लिख रहा है.. अमर का सपना बड़े होकर मूर्तिकार बनना
है.. अमर मूर्तिकला में माहिर है लेकिन उसकी इच्छा है कि उसे किसी इस्टीट्यूट में
दाखिला मिले जिससे वो अपने सपनों को पूरा कर सके... दोनों पैरों से लाचार होने के
बाद भी अमर को जिंदगी से कोई गिला शिकवा नहीं है. बल्कि वो दूसरे छात्रों को भी प्रेरणा
दे रहा है.. अमर की प्रतिभा के कायल गांव के प्रधान प्रतिनिधि भी हैं.. वो कहते
हैं कि सरकार को इस विलक्षण छात्र की मदद करनी चाहिए...
होनहार अमर केवल
अमेठी के लोगों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश को प्रेरणा दे रहा है.. अमर की
जिंदादिली देखिये कि दोनों पैर से दिव्यांग होकर भी वो कितना खुश है. आज के समय
में जब इंसान छोटी छोटी घटनाओं से परेशान होकर आत्महत्या कर लेता है.. उन लोगों के
लिए अमर एक प्रकाश बिंदु है.. अमर के साथ प्रकृति ने मजाक किया है.. लेकिन कोई भी
ताकत अमर के होसलों को डिगा नहीं सकती है.. अमर को देखकर लोग कह सकते हैं कि
बेचारा अभागा है.. लेकिन अमर खुद को अभागा नहीं बल्कि भाग्यशाली मानता है.. अमर ने
साबित कर दिया है कि वो गुदड़ी का लाल है.. फिलहाल इस मामले में देखना अहम होगा कि
इस होनहार बच्चे की योगी सरकार कितना मदद करती है.
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