भारत अब इस्राइल से सीखेगा पानी बचाना!
- पानी बचाने के लिए भारत इजराइल से सीखेगा नए
तरीके
- इस्राइल से धरती से तालमेल बनाने के उपाय
सीखेगा भारत
- जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने किया आह्वान
- ‘पानी
बचाने के लिए साथ आएं इस्राइल और भारत’
- ‘इस्राइल
से भारत को बहुत कुछ सीखने की जरूरत’
- ‘इस्राइल
ने एक एक बूंद जल की बचाई है’
- डेड सी के पानी को साफ करके पीता है इस्राइल
- भारत को क्यों करना पड़ रहा इस्राइल का रुख?
- नदियों के देश भारत में क्यों पड़ा साफ पानी का
अकाल?
- क्या भारत 2024 तक लोगों को पिला पाएगा स्वच्छ
पानी?
- पानी को बचाने के लिए कड़े कानून कब बनाएगा
भारत?
नदियों का देश भारत अब शायद पानी की
कीमत भूल चुका है.. यहीं कारण है कि उसे अब पानी बचाने के तरीके इस्राइल से सीखने पड़
रहे हैं.. ये हम नहीं कह रहे बल्कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ये बात कह रहे हैं..
जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने एलान किया है कि भारत अब पानी बचाने के
तरीके इस्राइल से सीखेगा.. शेखावत ने कहा कि भारत को इस्राइल से पानी बचाने के
उपाय सीखने होंगे.. आइये जानते हैं नदियों के देश भारत को अब इस्राइल से पानी
बचाना क्यों सीखना पड़ रहा है..
भारत..
ये नाम सामने आते ही सबसे पहले दिमाग में नदियों की तस्वीर आती है... भारत में मां
गंगा हैं, मां यमुना हैं और मां गोमती हैं.. भारत में नदियों की कोई कमी नहीं हैं..
फिर क्या कारण है कि भारत में साफ पानी का अभाव हो गया है.. आखिर भारत के जल
मंत्री को क्यों पानी को बचाने के लिए इस्राइल से मदद लेनी पड़ रही है.. इसका कारण
ये है कि भारत में ना केवल नदियां प्रदूषित हो चुकी हैं बल्कि यहां का भूमिगत जल
भी विषाक्त है.. चलिये अब विषय पर आते हैं.. आपको बता दें कि केंद्रीय जल शक्ति
मंत्री अभी तीन दिन के लिए इस्राइल गए थे.. एक सम्मेलन में भाग लेने.. यहां
उन्होंने कहा कि भारत को पानी बचाने के लिए इस्राइल से सहयोग लेना पड़ेगा..
उन्होंने कहा कि इस्राइल ने धरती पर जीवन और पानी बचाने के लिए तालमेल बनाया हुआ
है.. उन्होने सम्मेलन में भारत से जुड़ी समस्याओं की ओर लोगों का ध्यान खींचा.. उन्होंने
कहा कि भारत को इस्राइल से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है.. ऐसे में प्रश्न ये उठ रहा
है कि भारत को इस्राइल से पानी की बचत करने का तरीका क्यों सीखना पड़ रहा है.. तो
हम आपको बता दें कि इस्राइल अकेला ऐसा देश है जो खारे पानी को भी साफ करने की
तकनीक जानता हैं.. भारत के पास प्रचुर मात्रा में खारा पानी है.. ऐसे में इस्राइल
का सहयोग लेने केंद्रीय जल मंत्री इस्राइल गए थे..
बता
दें कि शेखावत 17 से 19 नवंबर के बीच इजरायल गए थे... यहां उन्होंने
एक सम्मेलन में कहा कि पानी बचाना हम सब का दायित्व है.. उन्होंने कहा कि आइए हम
सब एक साथ जीवन बचाने, पानी बचाने और इस धरती को बचाने के लिए एक तालमेल
बैठाएं... उन्होंने कहा कि उनके विचार में पानी के उपयोग की दक्षता, नमकीन
पानी को पीने योग्य बनाने के लिए दोनों देशों का साथ आना जरूरी है.. शेखावत ने
कहा कि अगर भारत और इस्राइल एक साथ आते हैं तो दोनों देशों को इससे बहुत फायदा
होगा.. वहीं नमकीन पानी को शुद्ध करने में इजरायल की विशेषज्ञता को देखते हुए शेखावत
ने इस क्षेत्र में संभावित सहयोग के लिए संकेत दिया... उन्होंने जोर दिया कि हमारे
तटीय बस्तियों के लिए नमकीन जल एक वरदान हो सकता है.. और पीने के पानी की समस्या
को काफी हद तक दूर कर सकता है... वहीं इजराइल के ऊर्जा और जलसंसाधन मंत्री युवल
स्टीनिट्ज ने कहा कि भारत और इजराइल के बीच प्रगाढ़ संबंध हैं.. उन्होंने कहाकि
उन्हें खुशी होगी अगर इस्राइल भारत की मदद करेगा...
बता
दें कि इजरायल ने वाटर रीसाइकिल को रोजमर्रा के जीवन का अभिन्न हिस्सा बना रखा है..
इजरायल के जल प्राधिकरण के अनुसार, ये अनुपात किसी अन्य देश की तुलना में
चार गुना अधिक है... फिलहाल इससे इतना निष्कर्ष तो निकल ही रहा है कि इस्राइल पानी
की एक एक बूंद बचाता है.. इसका मुख्य कारण है कि इस्राइल में पानी की कमी है.. वो
पानी का मूल्य समझता है.. इस्राइल से भारत को बहुत कुछ सीखने की जरूरत है.. लेकिन यहां
ये गौर करना भी जरूरी है कि भारत और इस्राइल की भौगोलिक स्थितियां अलग हैं.. भारत
नदियों का देश है, जबकि इस्राइल में नदियों का अभाव है.. इस्राइल डेड सी के पानी
को साफ करके पानी की व्यवस्था करता हैं.. वहीं भारत के पास गंगा, गोमती, यमुना,
गोदावरी, कावेरी ऐसी ही बहुत सी नदियां हैं. इसके साथ ही भारत के पास विशाल समुद्र
भी है... भारत का ये दुर्भाग्य है कि उसने कभी भी पानी की कीमत नहीं समझी.. भारत
ने कभी पानी बचाने के लिए दीर्घकालीन योजना नहीं बनाई. भारत ने अगर नदियों को
स्वच्छ रखा होता तो आज भारत को इस्राइल की और रुख ना करना पड़ता.. फिलहाल तो ऐसा
लग रहा है कि भारत 2024 में भी जनता को शुद्ध जल नहीं पिला सकेगा.
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