सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के न्यायमूर्ति एम आर शाह (M R Shah) और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना (Sanjeev Khanna) की एक पीठ ने सोमवार (10 जनवरी) को कहा की, “स्वायत्त निकायों (Autonomous Bodies) के कर्मचारी (Employees) सरकारी कर्मचारियों (Government Employees) के समान सेवा लाभों का दावा अधिकार के रूप में नहीं कर सकते हैं। स्वायत्त निकायों (Autonomous Bodies) के कर्मचारी (Employees) सरकारी कर्मचारियों (Government Employees) के साथ समानता का केवल इसलिए दावा नहीं कर सकते, क्योंकि ऐसे संगठनों ने सरकारी सेवा नियमों को अपनाया है। कर्मचारियों को कुछ लाभ देना है या नहीं यह विशेषज्ञ निकाय (Expert Body) और उपक्रमों पर छोड़ दिया जाना चाहिए और अदालत सामान्य तरीक़े से इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। कुछ लाभ देने के प्रतिकूल वित्तीय परिणाम हो (Adverse Financial Results) सकते हैं।”
बम्बई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) का आदेश जिसमें राज्य सरकार (State Government) को जल एवं भूमि प्रबंधन संस्थान (WALMI) के कर्मचारियों को पेंशन लाभ देने का निर्देश दिया गया था, जिसके ख़िलाफ़ महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) ने एक अपील दायर का थी। महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) द्वारा दायर की गई इस अपील पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत (Supreme Court) ने टिप्पणी करते हुए कहा की, “उच्च न्यायालय (High Court) द्वारा पारित वह आदेश, जिसमें राज्य को WALMI के कर्मचारियों को पेंशन का लाभ देने का निर्देश दिया गया है, क़ानून और तथ्यों दोनों पर नहीं टिकता।”
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा की, “क़ानून की प्रतिपादित व्यवस्था के अनुसार अदालत को नीतिगत फ़ैसलों में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए, जिनके व्यापक प्रभाव (Pervasive Impact) और वित्तीय प्रभाव (Financial Impact) हो सकते हैं। स्वायत्त निकायों (Autonomous Bodies) के कर्मचारी (Employees) सरकारी कर्मचारियों (Government Employees) के समान सेवा लाभों का दावा अधिकार के रूप में नहीं कर सकते हैं। सिर्फ़ इसलिए कि, हो सकता है कि ऐसे स्वायत्त निकायों (Autonomous Bodies) ने सरकारी सेवा नियमों (Government Service Rules) को अपनाया हो और/या हो सकता है कि शासी परिषद (Governing Council) में सरकार का एक प्रतिनिधि हो और/या केवल इसलिए कि, ऐसी संस्था राज्य या केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित है, ऐसे स्वायत्त निकायों (Autonomous Bodies) के कर्मचारी राज्य या केंद्र सरकार (State or Central Government) के कर्मचारियों (Employees) के साथ समानता का दावा अधिकार के रूप में नहीं कर सकते।”
न्यायमूर्ति एम आर शाह (M R Shah) और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना (Sanjeev Khanna) की पीठ ने कहा की, “राज्य सरकार (State Government) और स्वायत्त बोर्ड (Autonomous Board) या निकाय को बराबरी पर नहीं रखा जा सकता। WALMI की शासी परिषद (Governing Council) ने पेंशन नियमों को छोड़कर महाराष्ट्र सिविल सेवा नियमों (Maharashtra Civil Service Rules) को अपनाया है। राज्य सरकार (State Government) के कर्मचारियों (Employees) के लिए लागू पेंशन नियमों (Pension Rules) को नहीं अपनाने के लिए एक सतर्क नीतिगत निर्णय लिया गया है।”
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