सबको पैसा चाहिए। हर आदमी अपनी आमदनी बढ़ाने के बारें में सोचता है। शेयर बाजार भी निवेश एक बड़ा क्षेत्र है। पिछले वर्ष जिन लोगों ने यहां निवेश का ज्यादा जोखिम उठाया है, उन्हें उतना ही लाभ हुआ है। निवेश के दूसरे क्षेत्र उतना फायदा नहीं दे सके है। जितना शेयर बाजार ने दिया है निवेश के मामले में कासा रहा है बीतता साल और आने वैले महीने निवेशकों के लिए कैसे रहेंगे? बता रहे हैं विवेक कौल।
रिस्क है, तो इश्क है, यह पिछले साल की सुपरहिट पुरस्कार विजेता ऑनलाइन स्ट्रीमिंग सीरीज स्कैम 1992 का चर्चित संवाद है। दूसरे शब्दों में अगर कहें, तो यहां ज्यादा जोखिम का मतलब है ज्यादा फायदा। और ऐसा लगता है कि साल 2021 कई भारतीय निवेशकों के लिए ऐसा ही रहा है ज्यादातर मामलों में छोटे या बड़े निवेशकों ने जितना अधिक जोखिम उठाया है, उतना ही अधिक उन्हे मुनाफा हुआ है।
जब सावधि जमा ने मुद्रास्फीति के समायोजन के बाद नकारात्मक रिर्टन दिया है और सोना भी एक खोया हुआ निवेश रहा है। स्टॉक की कीमतों में वृद्धि हुई है। यह वह वर्ष भी था, जब सार्वजनिक क्षेत्र के बैकिंग शेयरोंके साथ-साथ रियल एस्टेट शेयरों ने भी ठीकठाक प्रदर्शन किया है। और तो और सार्वजनिक उघमों के शेयरों ने भी अच्छा प्रदर्शन किया है। जोखिम उठाने की प्रवृत्ति में वृध्दि से भी समझा जा सकता है। देश में ज्यादा मुनाफे के लिए दांव लगाने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है। आखिर, 2021 में क्या बदला, जोखिम लेना क्यों आदर्श बन गया। कौन जीता। कौन हार गया, आगामी महीनों में चीजें कैसी होगी।
शेयरों की छलांग:
31दिसम्बर 2020 को भारत का सबसे चर्चित शेयर बाजार सूचकाकं, बीएसई सेंसेक्स, 47,751अंक पर बंद हुआ था, जो 23 मार्च 2020 को महल 25,981 अंक पर था। शेयरों से इतनी अच्छी कमाई के लिए 33.5 रुपये तक का भुगतान करने के लिए तैयार थे। साल 2021 में शेयरों की सेंसेक्स 61,766अंक के सर्वकालिक उच्च स्तर पर बदं हुआ था। 17 दिसंबर तक सेंसेक्स ने इस साल के दौरान 19 फीसदी का रिटर्न दिया है। हम जैसे समय में रह रहें है, उसे देखते हुए यह पर्याप्त नही लगता है, जहां क्रिप्टो की कीमतें कुछ ही महीनों में दोगुनी हो सकती है। एक साल की सावधि जमा पर मिलने वाले 5 प्रतिशत ब्याज की तुलना में शेयरों नें बंपर रिर्टन दिया है।
बीएसई स्मॉल कैप इंडेक्स का ही मामला लें, जो इस साल 57 प्रतिशत बढ़ा है। हैदाराबाद की एडटेक कंपनी ब्राइटकॉम ग्रुप यहां अग्रणी है, जिसने 17 दिसंबर तक 2769 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। स्मॉल कैप इंडेक्स में टॉप 20 शानदार प्रदर्शन करने वाली दो दिलचस्प कंपनियां है, सारेगामा और टिप्स इंडस्ट्रीज, जिन्होने क्रमश 496 प्रतिशत और 401 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। ये कंपनियां 2000के दशक की शुरुआत तक संगीत कैसेट का कारोबार अब खास नहीं रहा, लेकिन इन कंपनियों ने डिजिटल रेडियो बेचने और फिल्मों के निर्माण जैसे अन्य कार्यक्षेत्रों में पांव जमाकर अपना कारोबार बढ़ाया है।
सेंसक्स से परे एक और दिलचस्प कहानी भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) की है। 31दिसम्बर 2020 तक इसके शेयर की कीमत 288 रुपये थी। उस समय से यह 18 अक्टूबर तक बढ़कर 1,176 रुपये के शिखर पर पहुंच गई है। यानी 308 प्रतिशत का रिटर्न हासिल हुआ है। अभी इसके शेयर की कीमत 832 रूपये है, इस गिरावट के लिए सरकार की घोषणा ही ज्यादा जिम्मेदार है। यह कहा गया था। कि आईआरसीटीसी यात्रियों से मिलने वाले सुविधा शुल्क को भारतीय रेलवे के साथ साझा करेगा। बाजार में एक वर्ग सरकार की इस घोषणा के बारें में पहले से ही जानता था, इसलिए, इसके शेयरों की बिकवाली पहले ही तेज हो गई थी बहरहाल, इसके शेयर को जल्दी खरीदने वाने निवेशक ज्यादा खरीदने वाले निवेशक ज्यादा फायदें में रहें हैं।
आश्चर्य भी खूब:
2021 ऐसा साल था जब आमतौर पर कमतर प्रदर्शन करने वाली कुछ कंपनियों को भी फायदा हुआ। इसका श्रेष्ठ उदाहरण भारतीय स्टेट बैंकहै, जिसके शेयर की कीमत में 70 प्रतिशत की वृध्दि हुई है। इंडियन ओवरसीज बैंक ने 2021 के दौरान 93 प्रतिशत की वृध्दि के साथ एसबीआई से भी बेहतर प्रदर्शन किया है। वास्तव में सार्वजनिक क्षेत्र के बैकिंग शेयरों ने सामान्य रुप से अच्छा प्रदर्शन किया है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको ने आईसीआईसीआई बैंक को छोड़कर नई पीढ़ी के निजी क्षेत्र के बैंकों को पछाड़ दिया है।
निफ्टी पीएसयू, बैक इंडेक्स, जिसमें 12 सूचीबद़ृ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और जम्मू एंड कश्मीर बैक शामिल है। ने वर्ष के दौरान 47 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। इसकी तुलना में निफ्टी प्राइवेट बैंक इंडेक्स महज 5 फीसदी चढ़ा है। इसका एक प्रमुख कारण यह है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैकों की बैलेंस शीट पिछले कुछ वर्षों में थोड़ी बेहतर हुई है, क्योंकि खराब या डूबत ऋण को धीरे-धीरे बट्टे खाते में डाल दिया गया है।
दिसंम्बर 2019 और दिसंबर 2020 के बीच ,डीमैट खातों की संख्या 26 प्रतिशत बढ़कर 394 लाख से 498 लाख हो गई थी। इसके अलावा दिसंबर 2020 और अक्टूबर 2021 के डीमैट खातों की संख्या लगभग48 प्रतिशत बढ़कर 738लाख हो गई है। फरवरी 2021 में लगभग 17 लाख नए ड़ीमैट खाते खोले गए है। अक्टूबर तक यह 35 लाख खातों तक पहुंच गया।
क्रिप्टो की मजबूती:
2021 वह वर्ष है, जब आम भारतीयों ने क्रिप्टो में निवेश की खोज की। इसके पीछे मजबूत मार्केटिंग भी काम कर रही है। नवंबर की शुरुआत में एक विज्ञापन में यह दावा किया गया था कि भारतीयों ने क्रिप्टो में 6 ट्रिलियन रुपये से अधिक का निवेश किया है। सबसे प्रसिदृ क्रिप्टो की एक इकाई, बिटकॉइन की कीमत 31 दिसंबर 2020 तक 29,002 डॉलर थी 8 नवंबर तक यह 133 प्रतिशत बढ़कर 67,567 डॉलर हो गई थी। हांलाकि, कुछ अन्य क्रिप्टो ने जो हासिल किया है, उसकी तुलना में यह छोटा फायदा है। शीबा इनु नामक क्रिप्टो करंसी ने साल के दौरान 4,24,65,653 प्रतिशत का भारी रिटर्न दिया है। वर्ष की शुरुआत में शीबा इनु में निवेश किया गया 100 डॉलर अब लगभग 42.5 मिलियन डॉलर हो गया है। बेशक, साल की शुरुआत में बहुत से लोग शीबा इनु के बारे में कुछ नही जानते थे या उन्हें पता नहीं था कि यह इतनी से बढ़ेगा। एक्सी इन्फिनिटी, सोलाना इत्यादि ने भी वर्ष के दौरान अच्छा प्रदर्शन किया है। बेशक, स्क्वीड़ गेम क्रिप्टो जैसे अन्य भी है, जो 2,841 डॉलर के चरम मूल्य से गिरकर शून्य के करीब आ गए हैं।
संपत्ति क्षेत्र भी फायदें में:
सार्वजनिक क्षेत्र की बैकिगं के अलावा, रियल्टी क्षेत्र को भी निवेशकों का साथ मिला है। निफ्टी रियल्टी इंडेक्स साल के दौरान सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले सूचकांकों में से एक था, जिसने 52 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। धातु क्षेत्र ने भी असाधारण प्रदर्शन किया है, जिसनें इस्पात, एल्यूमीनियम,तांबा,जस्ता,आदि बनाने वाली कंपनियां शामिल है। निफ्टी मेटल इंडेक्स ने 68 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। यह मुख्य रुप से वैश्विक स्तर पर धातुओं की बढ़ती कीमतों के कारण है। धातु क्षेत्र इस बात का एक बहुत अच्छा उदाहरण है कि बैकिगं रियल एस्टेट, बिजली आदि क्षेत्रों में क्या चल रहा है।
बढ़ता आकर्षण:
ये सभी उदाहरण हमें उच्च-जोखिम/उच्च लाभ के बारें में बताते है। हालांकि, उच्च-जोखिम का अर्थ हमेशा उच्च-लाभ नही होता है। मूल रुप से ऊपर दिए गये सभी उदाहरण हमें बताते है। जिन लोगों ने शेयरों में निवेश किया था और जिन्होंने वर्ष की शुरुआत में क्रिप्टो की खोज की थी और उन पर विश्वास किया था, वे वही है, जिन्होनें जोखिम उठाकर अच्छा प्रदर्शन किया है।
खुदरा निवेशकों के साथ परेशानी यह भी हैकि वे काफी मात्रा में पैसा बनाने के बाद निवेश करना शुरु कर देते है। डीमैट खातों का ही मामला लें। दिसंबर 2019 और दिसंबर 2020 के बीच डीमैट खातों की संख्या 26 प्रतिशत बढ़कर 394 लाख सें 498 लाख हो गई थी। इसके अलावा दिसंबर 2020 और अक्टूबर 2021 के बीच डीमैट खातों की संख्या लगभग 48 प्रतिशत बढ़कर 738 लाख हो गई है।
फरवरी 2021 में लगभग 17 लाख नए डीमैट खाते खोले गए हैं। अक्टूबर तक यह 35 लाख खातों तक पहुंच गया। यहां जिस बात पर ध्यान देने की जरुरत है, वह यह हैकि सेंसेक्स नें अक्टूबर में अपने सर्वकालिक उच्च स्तर को छुआ था। जाहिर है, शेयर बाजार में सूचकांक जितना ऊपर जाता है, खुदार निवेशक उतने ही अधिक आकर्षिक होते हैं। लेकिन शेयर बाजार के चरम दौर में उसमें प्रवेश करने वाले ज्यादातर निवेशक अब घाटे में बैठे होंगे।
क्रिप्टो के साथ भी ऐसा ही हुआ होगा। क्रिप्टो के मामले में दूसरी बड़ी बात यह है कि लोग इसमें बड़ी मात्रा में निवेश नही कर रहे है। जैसा कि आरबीआई, गवर्नर शक्तिकांत दास ने नवबंर में कहा था 70 प्रतिशत या उससे अधिक लोगों ने क्रिप्टो में 1,000-3,000रुपये का निवेश किया है। साथ ही, बड़ा सवाल यह भी है कि भारत में क्रिप्टो के राकेश झुनझुनवाला कौन है? हम उन्हें कब देखने जा रहे है?
आगे क्या होगा?
इसलिए इस आलेख का संदेश यह है कि उच्च जोखिम और उच्च-लाभ की रणनीति आजमाना मूर्खतापूर्ण तरीका कतई नहीं है। जरुरी है कि हम अपनी गाढ़ी कमाई के निवेश में किसी तरह की चूक न करें। सावधान रहते हुए अपने पैसे का कही एक जगह निवेश न करें, निवेश में विविधता हो पैसे को अलग-अलग क्षेत्रों में फैलाना जरुरी है, ताकि पैसा कही न कही से आता रहे। इसमें भी कोई शक नहीं कि विदेशी निवेशकों द्वारा पैसा लगाने की वजह से भी भारतीय शेयर बाजारों में तेंजी आई है। समय के साथ विदेशी निवेशकों की बिकवाली तेज हो रही है।
इसके अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका के फेडरल रिजर्व, अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने अब मार्च 2022 तक पैसे की छपाई बंद करनें और उसके बाद ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला किया है। बैंक ऑफ इंग्लैड पहले ही ब्याज दरें बढ़ा चुका है। यदि यह जारी रहता है, तो 2022 में अधिक रिटर्न की तलाश में भारत में नए विदेशी धन के आने की संभावना कम हो जाएगी। सरकार को व्यवसाय व निवेश को और आसान बनाना चाहिए। भारत में जैसे-जैसे व्यवसाय करना आसान होगा, वैसे-वैसे निवेश व अर्थव्यवस्था का विस्तार होगा।
वास्तव में देखा जाए, तो 2021 में भीशेयरों की कीमतों को मुख्य रुप से घरेलू भारतीय निवेशकों ने ही संचालित किया है। सवाल यह है कि क्या 2022 में भी घरेलू निवेशक शेयर बाजार पर बड़ा दांव नगाते रहेगें? क्या जोखिम के साथ उनका इश्क जारी रहेगा ? हमें जल्द ही पता चल जाएगा।
लोग क्या करें ?
भारतीय शेयर बाजारों में आम निवेशकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। कोरोना कें समय में भी यह बढ़ी है, पर सावधानी जरुरी है। नए निवेशकों को अपनी बचत का दसवां हिस्सा ही शेयर में लगाना चाहिए। ज्यादा कमाई के लालच में पुरी बचत को कभी शेयरों पर खर्च नही करना चाहिए। निवेश अलग-अलग मदों में हो, तो बेहतर है।
कंपनियों क्या करें ?
कंपनियों को अपने निवेशकों का पूरा ध्यान रखना चाहिए। निवेशकों का जब पैसा डूबता है तो इससे शेयर बाजार ही नही, कंपनियों की विश्वसनीयता भी प्रभावित होती है। कंपनियों को अपना कामकाज सुधारने और मुनाफा बढ़ाने को लक्ष्य बनाना चाहिए। कंपनियों अपना प्रदर्शन सुधारते चलें तो निवेशकों का विश्वास भी बढ़ता जाएगा।
सरकार क्या करे ?
प्रतिस्परर्ध्दा का समय है और सार्वजनिक क्षेत्र के बैकों के शेयर अच्छा प्रदर्शन कर रहे है। निजी बैकों और कंपनियों को टक्कर देना संभव है। अत: सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए। इससे रोजगार भी बढ़ेगा।
0 komentar:
Post a Comment