राजधानी में मंगलवार यानि 20 दिसंबर को नीट पीजी काउंसलिंग में देरी के विरोध में रेजीडेंट डॉक्टरों की हड़ताल पांचवें दिन भी जारी रही। जिसके चलते इलाज पाने के लिए मरीज बेबस हो गए। वह डॉक्टरों से मदद की गुहार लगाते रहे कि साहब एक बार इलाज कर दीजिए, लेकिन उनकी कोई सुनवाई व मदद नहीं हुई। वहीं, स्वास्थ्य मंत्रालय के बाहर रेजिडेंट डॉक्टरों ने अपनी मांग को लेकर प्रदर्शन किया।
हड़ताल के कारण अब तक कई बड़े अस्पतलों की नियमित सर्जरी भी प्रभावित हुई हैं। पिछले पांच दिनों में लगभग 3000 से ज्यादा ऑपरेशन रद्द करने पड़ गए हैं। डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल की इमरजेंसी में मंगलवार को सीनियर डॉक्टर दिखाई दिए लेकिन बेड खाली पड़े रहे क्योंकि डॉक्टरों की संख्या बहुत कम थी। इमरजेंसी के अंदर व बाहर दोनों ही जगहों पर मरीजों की संख्या कम थी। मुरादाबाद निवासी सतपाल सिंह को ब्लॉकेज की दिक्कत है और एक महीने पहले डॉ ने उन्हें मंगलवार को आने के लिए कहा था लेकिन हड़ताल की वजह से उनकी एंजियोग्राफी नहीं हो पाई।
इसी प्रकार दिल्ली के लोकनायक हॉस्पिटल में भी मरीजों की संख्या कम रही। यहां कुछ बच्चों को तो इमरजेंसी के अंदर बुला लिया था लेकिन कुछ को वापस भेज दिया गया। हड़ताल की वजह से हिंदूराव अस्पताल, संजय गांधी आदि अस्पताल में मरीजों की भीड़ में बढ़ोत्तरी हो गई। एम्स में भी मरीजों की संख्या में कई गुना इजाफा हुआ है।
यहां के डॉक्टरों के मुताबिक इमरजेंसी में आने वाले गम्भीर मरीजों की संख्या बढ़ी है जिसकी वजह से उनके काम का समय भी कई घण्टों तक बढ़ गया है।सूचना के मुताबिक सफदरजंग अस्पताल, राम मनोहर लोहिया, सुचेता कृपलानी अस्पताल, कलावती सरन अस्पताल, लोकनायक अस्पताल, जीटीबी अस्पताल और जीबी पंत अस्पताल में सेवाएं बाधित रहीं। जबकि एम्स, अंबेडकर अस्पताल, संजय गांधी अस्पताल, हिंदूराव अस्पताल, कस्तूरबा गांधी अस्पताल, दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में मरीजों को इलाज और सेवाएं मिलती रहीं।
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