43 साल बाद कैबिनेट का बड़ा फैसला, विपक्ष में तिलमिलाहट, पढ़ें पूरी ख़बर

 विपक्ष भले ही केंद्र सरकार पर महिलाओ के तमाम मुद्दों पर घेरती रहे पर सरकार महिलाओ के मुद्दे  को लेकर बड़े फैसले लेने में कोई कोताही नहीं बरतती और समय-समय पर ऐसे कानून लाती है जिससे देश की आधी आबादी को लाभ मिलता है। चाहे वो नौकरी में आरक्षण हो या सेना में पहल को लेकर हो या फिर राशन की सामान्य वितरण प्रणाली हो, उसमे भी महिला को ही मुखिया बनाया गया है और हो भी क्यों ना, एक कुशल गृहिणी होने के नाते घर को चलाने की जिमेदारी भी तो महिला की ही होती है।  

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पर कहीं न कहीं कुछ फैसले या कानून ऐसे भी होते थे जिनसे महिलाओं की बात करते करते पुरुष प्रधान कानून में ही तब्दील हो जाते थे। कई कानून ऐसे भी हैं जो कानून तो है पर उन पर क्रियान्वन उस गंभीरता से नहीं होता जितना होना चाहिए, जैसे की बाल विवाह प्रथा या कानून। पर इस पर लोग कितने गम्भीर है सब जानते है। पर सरकार भी तमाम ऐसे कानून को लेकर सजग है कि ऐसा क्या किया जा सके कि महिलाओं के स्वास्थशिक्षा और स्वालम्बन की स्तर को और बढ़ाया जाए।

ऐसी ही एक राहत वाली खबर आयी है कि देश में महिलाओं की शादी करने की वैध उम्र 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने के प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इसके लिए सरकार मौजूदा क़ानूनों में संशोधन लाएगी।

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सबसे पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 15 अगस्त पर लाल क़िले से अपने संबोधन में इसका उल्लेख किया था। उन्होंने कहा था कि बेटियों को कुपोषण से बचाने के लिए आवश्यक है कि उनका विवाह उचित समय पर हो। अभी पुरुषों की विवाह की न्यूनतम उम्र 21 और महिलाओं की 18 है। अब सरकार महिलाओं की शादी करने की वैध उम्र 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने का मन बना चुकी है, जिसे मूर्त रूप देने के लिए सरकार बाल विवाह निषेध कानूनस्पेशल मैरिज ऐक्ट और हिंदू मैरिज ऐक्ट में संशोधन लाएगी।

आपको बता दें कि नीति आयोग में जया जेटली की अध्यक्षता में सन 2020 में बने टास्क फ़ोर्स ने इसकी सिफारिश सरकार से की थी इनके अलावा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, महिला तथा बाल विकास, उच्च शिक्षा, स्कूल शिक्षा तथा साक्षरता मिशन और न्याय तथा कानून मंत्रालय के विधेयक विभाग के सचिव टास्क फ़ोर्स के सदस्य थे। इस टास्क फ़ोर्स का गठन पिछले साल जून में किया गया था और पिछले साल दिसंबर में ही इसने अपनी रिपोर्ट दी थी। टास्क फ़ोर्स का कहना था कि पहले बच्चे का जन्म देते समय उम्र 21 वर्ष होनी चाहिए। विवाह में देरी का परिवारों, महिलाओं, बच्चों और समाज के आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

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और सरकार का ये फैसला सही भी है क्योंकि इससे अब देश की आधी आबादी भी कदम से कदम मिलकर चल सकेगी, उसको और पढ़ने यानि उच्च शिक्षा का मौका भी मिलेगा, क्योंकि अब उसपर  जल्दी शादी करने के लिए दबाव नहीं बनाया जायगा। पर इस कानून के चलते सरकार को तमाम क़ानूनो में बदलाव् भी करने होंगे। पर एक प्रश्न अभी भी है कि आम महिलाओं की देश में स्थिति पर इस कानून का क्या प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि कानून तो बनते है पर उनका क्रियान्वन भी बेहतर तरीके से हो ये भी जरुरी है 

फिलहाल इस नए प्रस्ताव को पास करने के लिए देश की आधी आबादी की तरफ से मैं सरकार का शुक्रगुजार हूँ कि उन्होंने एक सकारात्मक पहल की है और आने बाले भविष्य में बेहतर परिणाम सामने लाएगी।

फिलहाल तो इतना ही कहूंगा

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