Afghanistan में Taliban का कब्ज़ा होने के बाद और वहाँ के राष्ट्रपति अशरफ घनी के भाग जाने के बाद अब बड़ा सवाल ये है कि क्या यही
बनेगा राष्ट्रपति लेकिन कौन है ये ? तालिबान के सह-संस्थापक और उप नेता बरादर तालिबान के राजनीतिक कार्यालय का प्रमुख है जो कि दोहा में स्थित है।
पिछले साल America के साथ जब मुल्ला बरादर ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए, तो कतर ने दोहा में सभी व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी ली थी। 8 साल बाद जब मुल्ला को 2018 में Pakistan की जेल से रिहा किया गया, तो Qatar ने ही उसे देश में जगह दी। उस समय कतर में तालिबान के राजनीतिक दल का मुखिया मुल्ला को बनाया गया था।
साल 2010 में मुल्ला बरादार को अमेरिका ने ये सोच के गिरफ्तार किया था कि, वह उनके लिए एक बड़ा खतरा हो सकता है और बड़ी आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे सकता है। मुल्ला को अमेरिका के दबाव में 8 साल तक पाकिस्तान में जेल में रखा गया था। लेकिन 2018 में ट्रम्प प्रशासन के अनुरोध पर मुक्त कर दिया गया और फिर पिछले साल दोहा में उनके बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। यह स्पष्ट रूप से अमेरिका के दोहरे मानकों को दर्शाता है।
मुल्ला बरादर उन चार लोगों में से एक हैं जिन्होंने 1994 में तालिबान का गठन किया था। यही कारण है कि राष्ट्रपति पद के लिए उनकी उम्मीदवारी सबसे मजबूत है।
मुल्ला बरादर ने NATO forces के खिलाफ कई लड़ाई लड़ी, जिहाद के नाम पर कई बड़े आतंकवादी अभियानों का नेतृत्व किया। कतर और पाकिस्तान जैसे देशों के साथ तालिबान के संबंधों को बनाए रखने में मदद भी की। वह हमेशा से तालिबान के राजनीतिक मामलों में शामिल रहा है। आज उसकी वापसी पर ये साफ होता है कि वह सत्ता में आने वाले हैं।
आतंकवाद को पूरी दुनिया में कानूनी मान्यता मिल जाएगी ,अगर दुनिया इन तालिबानी नेताओं को मान्यता देती है तो। अफगानिस्तान आतंकवाद का सबसे बड़ा केंद्र बन जाएगा जहां आतंकियों को रोकने वाला कोई नहीं होगा। दुनिया के नेताओं को उन आतंकियों से हाथ मिलाना होगा, जिन्हें United Nations और America जैसे देश अभी तक ब्लैक लिस्ट करते रहे हैं।
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