Tandav करने वालों को अभी राहत नहीं, SC ने गिरफ्तारी पर रोक से मना किया

 वेब सीरीज तांडव tandav लागातार विवादों में गिरती जा रही है बता दें कि तांडव में काम करने वालों को अभी राहत मिलती नजर नहीं आ रही है सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिल सकी है कोर्ट ने धार्मिक भावनाओं को आहत करने के मामले में दर्ज एफआईआर में गिरफ्तारी पर रोक लगाने से मना कर दिया है, हालांकि कोर्ट ने देशभर में दर्ज एफआईआर को एक साथ जोड़ने की मांग पर नोटिस जारी की गई है।

तांडव tandav के एक्टर्स मोहम्मद जीशान अय्यूब, निर्देशक अली अब्बास जफर, लेखक गौरव सोलंकी, निर्माता हिमांशु मेहरा और अमेजन प्राइम ओरिजिनल्स की प्रमुख अपर्णा पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

उनकी तरफ से फली नरीमन, मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ लूथरा जैसे दिग्गज वकीलों ने जिरह की। लेकिन कोर्ट को एफआईआर रद्द करने की मांग पर आश्वस्त नहीं कर सके।

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सबसे पहले वरिष्ठ वकील फली नरीमन ने दलीलें रखीं। न्होंने कोर्ट को बताया कि सीरीज के निर्माताओं ने आपत्तिजनक सामग्री के लिए माफी मांगी है। उन्हें शो से हटा दिया गया है। सके बावजूद उनके खिलाफ लगातार मुकदमे दर्ज हो रहे हैं। भी एफआईआर को रद्द कर देना चाहिए कोर्ट इस पहलू पर नोटिस जारी करे और सुनवाई तक सभी लोगों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दे।

tandav इस पर जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एम आर शाह की बेंच ने कहा,

"आप चाहते हैं कि एफआईआर को रद्द कर दिया जाए. लेकिन इसके लिए आप हाई कोर्ट में क्यों नहीं गए?" नरीमन ने जवाब दिया, "एफआईआर 6 राज्यों में है. हम अलग-अलग हाई कोर्ट में नहीं जा सकते।"

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फल नरीमन ने यह भी कहा कि कोर्ट को यह तय करना होगा कि देश में अनुच्छेद 19(1)(A) यानी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार है या नहीं? इस पर जजों ने जवाब दिया, "देश में अनुच्छेद 21 के तहत सम्मान के साथ जीवन जीने का अधिकार भी लोगों को मिला है. आप किसी को अपमानित नहीं कर सकते।"

tandav वरिष्ठ वकील पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने भी अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार का हवाला दिया.

उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट हमेशा से इसकी रक्षा के लिए आगे आता रहा है." इस पर जजों ने कहा कि अभिव्यक्ति के अधिकार की भी सीमाएं हैं. उनका उल्लंघन कर मुकदमे से नहीं बचा जा सकता।

सीरीज में भगवान शिव का विवादित तरीके से चित्रण करने वाले अभिनेता जीशान अय्यूब के वकील ने दलील दी कि वह सिर्फ एक अभिनेता हैं. उनके साथ एक किरदार को निभाने के लिए कॉन्ट्रैक्ट किया गया था. बेंच के सदस्य जस्टिस एम आर शाह ने इस पर कहा, "आप अभिनेता हैं, इसका मतलब यह नहीं कि आप दूसरों की धार्मिक भावना को चोट पहुंचाने वाले किरदार निभा सकते हैं।"

करीब 1 घंटे तक सभी वकील जजों को एफआईआर रद्द करने की मांग पर नोटिस जारी करने के लिए आश्वस्त करने की कोशिश करते रहे. लेकिन जज इसके लिए तैयार नहीं हुए. उन्होंने कहा कि वह सिर्फ अलग-अलग राज्यों में दर्ज एफआईआर को एक साथ जोड़ने की मांग पर सुनवाई कर सकते हैं. इसके लिए वह नोटिस जारी कर रहे हैआगे की सुनवाई 4 हफ्ते बाद की जाएगी।

वकीलों ने एक बार फिर गिरफ्तारी पर रोक की कोशिश की. उन्होंने कहा, "कई राज्यों की पुलिस गिरफ्तारी की तैयारी कर रही है. कम से कम कोर्ट तब तक के लिए गिरफ्तारी पर रोक लगा दे, जब तक याचिकाकर्ता वहां की अदालतों में अग्रिम जमानत के लिए अर्जी नहीं देते लेकिन कोर्ट ने इससे भी मना कर दिया. बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता इस तरह की राहत के लिए संबंधित हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएं।

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