बच्ची का हाथ पकड़ना, पैंट की जिप खोलना यौन उत्पीड़न नहीं POCSO Act के तहत

 

POCSO Act Child Harassment

यौन उत्पीड़न: स्किन टू स्किन टच के बाद Bombay High Court का एक और नया फैसला...

डिजिटल डेस्क:

'कपड़े उतारे बिना स्तन छूना यौन उत्पीड़न नहीं', Bombay High Court का यह फैसला बीते दिनों काफी सुर्खियों में रहा, जिस पर अब सुप्रीम कोर्ट ने भी रोक लगा दी है. अब बॉम्बे हाईकोर्ट का ही एक और फैसला सामने आया है. इस फैसले में कहा गया है कि नाबालिग लड़की का हाथ पकड़ना और पैंट की जिप खोलना POCSO Act के तहत 'यौन उत्पीड़न' की श्रेणी में नहीं आता है. POCSO Act Child Harassment

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Bombay high court (नागपुर पीठ) ने माना और कहा है कि एक नाबालिग लड़की का हाथ पकड़ना और पैंट की ज़िप खोलना, POCSO Act 2012 यानी यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा' के तहत यौन शोषण की परिभाषा में नहीं आएगा. POCSO Act Child Harassment

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Live Law की रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि कोर्ट ने माना कि IPC की धारा 354-ए (1) (i) के तहत ऐसा करना 'यौन उत्पीड़न' के दायरे में आता है. यहां बताना जरूरी है. POCSO Act Child Harassment

ठीक इससे पहले 19 जनवरी को Bombay high court की इसी नागपुर बेंच ने कहा था कि व्यक्ति ने बच्ची के शरीर को उसके कपड़े हटाए बिना स्पर्श किया था, इसलिए उसे 'यौन उत्पीड़न' नहीं कहा जा सकता. इसके बजाय यह IPC की धारा 354 के तहत महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने का अपराध बनता है.

क्या है पूरा मामला-

दरअसल, 50 वर्षीय व्यक्ति को 5 साल की बच्ची से छेड़छाड़ के लिए दोषी ठहराए जाने की सजा के खिलाफ दायर आपराधिक अपील पर नागपुर बेंच की जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला की एकल पीठ ने फैसला सुनाया. POCSO Act Child Harassment

दरअसल, सत्र न्यायालय ने 50 वर्षीयय इस आरोपी को मामले में दोषी ठहराया था और उसे POCSO की धारा 10 के तहत दंडनीय 'यौन उत्पीड़न' मानते हुए 6 महीने के लिए एक साधारण साधारण कारावास के साथ 5 साल के कठोर कारावास और 25,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी. POCSO Act

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बच्ची की मां ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद यह मामला सामने आया. शिकायत में बच्ची की मां ने कहा था कि उसने आरोपी को देखा था, जिसकी पैंट की जिप खुली हुई थी और उसने उसकी बेटी का हाथ पकड़े हुए था. बच्ची ने बाद में गवाही दी कि उसकी बेटी ने उसे बताया कि आरोपी ने अपने पैंट से लिंग (पेनिस) निकाला और उसे बेड पर आकर सोने के लिए कहा. POCSO Act Child Harassment

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बहरहाल, एकल पीठ ने POCSO Act की धारा 8, 10 और 12 को इस सजा के लिए उपयुक्त नहीं माना और आरोपी को धारा 354A (1) (i) के तहत दोषी ठहराया, जिसमें अधिकतम 3 साल की कैद की सजा का प्रावधान है. कोर्ट ने यह भी माना कि आरोपी ने 5 महीने जेल में सचा काट ली है, जो इस अपराध के लिए पर्याप्त हैं.

इससे पहले क्या फैसला हुआ लिया गया था-

19 जनवरी को Bombay High Court की नागपुर बेंच ने कहा था,"व्यक्ति ने बच्ची के शरीर को उसके कपड़े हटाए बिना स्पर्श किया था, इसलिए उसे यौन उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता. इसके बजाय यह IPC की धारा 354 के तहत महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने का अपराध बनता है." POCSO Act

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Bombay High Court ने Session Court के फैसले को बदला था, जिसमें 39 वर्षीय व्यक्ति को 12 साल की लड़की के यौन उत्पीड़न का दोषी ठहराते हुए यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) कानून के तहत 3 साल कैद की सजा सुनाई गई थी.

IPC की धारा 354 के तहत न्यूनतम एक साल की कैद की सजा का प्रावधान है, जबकि POCSO Act के तहत यौन उत्पीड़न के मामले में 3 साल की कैद की सजा का प्रावधान है.

क्या था मामला?
Bombay High Court की नागपुर पीठ की न्यायमूर्ति पुष्पा गनेडीवाला ने 19 जनवरी को पारित एक आदेश में कहा कि यौन हमले का कृत्य माने जाने के लिए यौन मंशा से स्किन से स्किन का संपर्क होना जरूरी है. उन्होंने अपने फैसले में कहा कि महज छूना भर यौन हमले की परिभाषा में नहीं आता है.

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अभियोजन पक्ष और नाबालिग पीड़िता की अदालत में गवाही के मुताबिक, दिसंबर 2016 में आरोपी सतीश नागपुर में लड़की को खाने का कोई सामान देने के बहाने अपने घर ले गया. High Court ने अपने फैसले में यह दर्ज किया कि अपने घर ले जाने पर सतीश ने उसके वक्ष को पकड़ा और उसे निर्वस्त्र करने की कोशिश की.

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High Court ने कहा, चूंकि आरोपी ने लड़की को निर्वस्त्र किए बिना उसके सीने को छूने की कोशिश की, इसलिए इस अपराध को यौन हमला नहीं कहा जा सकता है और यह IPC की धारा 354 के तहत महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने का अपराध है.

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धारा 354 के तहत जहां न्यूनतम सजा एक वर्ष की कैद है, वहीं POCSO Act के तहत यौन उत्पीड़न की न्यूनतम सजा 3 साल कारावास है. सत्र अदालत ने पॉक्सो कानून और  धारा 354 के तहत उसे तीन वर्ष कैद की सजा सुनाई थी. दोनों सजाएं साथ-साथ चलनी थीं...

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