पूरी दुनिया पर इस समय गंभीर संकट मंडरा
रहा है.. अगर हम नहीं चेते तो ये दुनिया हम लोगों के लिए रहने लायक नहीं रहेगी..
ये हम नहीं कह रहे बल्कि संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है...
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि मौजूदा दशक इतिहार का सबसे गर्म दशक होगा... वहीं
विश्व मौसम संगठन ने ये कहकर डरा दिया है कि धरती के तापमान में लगातार वृद्धि हो
रही है.
एक
तरफ जहां भारत, अमेरिका और दूसरे पश्चमी देश धरती के तापमान को लगातार कम करने में
लगे हुए हैं.. वहीं संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट से डर लगने लगा है.. ये डर
इसलिये भी है.. क्योंकि अब ऐसा लगता है कि कहीं ये धरती खत्म ना हो जाए,, इस समय धरती
पर रह रहे जीवों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.. आपको बता दें कि विश्व
मीटरोलॉजिकल संगठन डब्लूएमओ ने कहा है कि जीवाश्म ईंधन को जलाने, बुनियादी
ढांचे के निर्माण, फसलों को उगाने और माल की ढुलाई जैसे कामों के
कारण कार्बन सघनता का रिकार्ड टूटने जा रहा है.. ये धरती क खत्म होने का कारण भी
बन सकता है.. 2019 इस मामले में रिकार्ड तोड़ने जा रहा है.. क्योंकि इस साल कार्बन
की सघनता सबसे ज्यादा बढ़ी है.. वहीं ग्रीनहाउस गैसों के कारण पैदा हुई गर्मी को
सोखने वाले महासागरों का तापमान भी उच्चतम स्तर पर बड़ गया है.
आपको
बता दें कि महासागर धरती की गर्मी का 90 प्रतिशत भाग सोख लेते हैं..... वहीं दुनिया
के समुद्र अब 150 साल पहले की तुलना में एक चौथाई अधिक अम्लीय
हैं.. जो
महत्वपूर्ण समुद्री पारिस्थितिक तंत्रों को खतरे में डालते हैं... जिस
पर अरबों लोग भोजन और नौकरियों के लिए भरोसा करते हैं... वहीं इस साल अक्टूबर में
समुद्र का औसत स्तर अपने उच्चतम स्तर पर बढ़ गया है.. इसमें ग्रीन लैंड की पिघली
329 अरब टन बर्फ ने बड़ी भूमिका निभाई है... आपको बता दें कि पिछले चार दशकों में
से प्रत्येक दशक पिछले से अधिक गर्म रहा है.. रिपोर्ट में कहा गया कि 2019 के
पहले आधे हिस्से में एक करोड़ से अधिक लोग आतंरिक रूप से विस्थापित हुए हैं.. इसमें
कहा गया है कि इस साल के अंत तक मौसम में बदलावों के चलते विस्थापित होने वाले
लोगों की संख्या 2.2 करोड़ पहुंच सकती है. EDITOR- SACHIN SHARMA
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