उन्नाव में अन्नदाता क्यों खा रहे लाठी?

      उन्नाव में अन्नदाता क्यों खा रहे लाठी?

उन्नाव में किसानों का आंदोलन अपने चरम पर पहुंच गया है.. जमीन के उचित मुआवजे की मांग कर रहे किसानों के साथ पुलिस की जबरदस्त भिड़ंत हुई.. किसानों ने जहां यूपीसीटा के प्लांट में आग लगा दी वहीं पुलिस ने किसानों के साथ बर्बर लाठीचार्ज किया. यहीं नहीं पुुलिस ने अचेत पड़े किसानों को भी जमकर पीटा.. पुलिस ने महिलाओं और बूढ़े किसानों को भी नहीं छोड़ा.. वहीं इस मुद्दे पर अब राजनीति भी तेज हो गई है.. जहां कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने योगी सरकार पर वार किया. वहीं सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बीजेपी सरकार पर हमलावर रहे.. क्या है पूरा मामला आइये जानते हैं.


उन्नाव की ट्रांसगंगा सिटी में किसानों के प्रदर्शन ने उग्र रूप ले लिया.. किसानों ने ट्रांसगंगा सिटी से खदेड़े जाने के बाद ट्रांसगंगा सिटी में बने मिक्सर वाहन में आग लगा दी.. वहीं एक खेत को भी आग के हवाले कर दिया.. मौके पर पहुंची पुलिस ने किसानों के ऊपर लाठीचार्ज किया और जमकर पिटाई की.. पुलिस ने महिलाओं को भी नहीं छोड़ा,, महिला किसानों को पुलिस ने दौड़ा दौड़ा कर पीटा.. वहीं अचेत पड़े कुछ किसानों को भी पुलिस पीटती रही.. पुलिस ने किसानों के ऊपर वाटर कैनन से पानी की बौछार की और आंसू गैस के गोले दागे... इस घटना में करीब 50 किसान घायल हो गए.. वहीं 10 पुलिसकर्मियों को भी चोटें आई हैं.... किसानों के आंदोलन को रोकने के लिए पुलिस को हवाई फायरिंग भी करनी पड़ी.. 


उन्नाव के किसान जो आंदोलन और आगजनी कर रहे हैं वो आज का मामला नहीं है... ये मसला करीब 16 साल पुराना है.. ये मामला 2003 का है.. जब यूपी में मुलायम सिंह की सरकार थी... बता दें कि 2003 में तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में ट्रांस गंगा हाई टेक योजना बनी थी.. उस समय किसानों की जमीन का मुआवजा इतना कम था कि किसानों ने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं ली थी... इसके बाद 2007 में बसपा सरकार आई तो मुआवजे की रकम 2 लाख 51 हजार रुपये से बढ़ाकर पांच लाख 51 हजार रुपये कर दी गई... इसके बाद 2012 तक भी बीएसपी सरकार यूपीएसआईडीसी योजना के तहत भूमि अधिग्रहण का काम नहीं कर पाई.. वहीं बाद में जब 2012 में सपा की सरकार बनी तो संबंधित विभाग ने किसानों की जमीन अधिग्रहण का काम शुरू किया.. इसके बाद इसके विरोध में किसान सड़क पर उतर आये.. किसानों की मांग थी कि पूर्व में जो दरें लागू की गई थीं. वो वर्तमान के हिसाब से बहुत कम हैं.. किसानों की मांग थी कि मुआवजे की रकम को और बढ़ाया जाए.... लेकिन तत्कालीन अखिलेश सरकार ने किसानों की मांगों पर गौर नहीं किया... इस प्रकार ये मामला धीमी आंच पर धीरे धीरे सुलगता रहा..



वहीं इस मामले ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है.. इस लड़ाई में अब किसानों के साथ राजनीतिक दल भी कूद पड़े हैं.. इसी कड़ी में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने योगी सरकार पर वार करते हुए कहा कि कि किसानों के साथ छलावा आखिर कब तक चलेगा.. उन्होंने कहा कि यूपी के सीएम अभी गोरखपुर में किसानों पर बड़ी-बड़ी बातें कर रहे थे.. लेकिन उनकी पुलिस का हाल देखिए.. उन्नाव में एक किसान लाठियां खाकर अधमरा पड़ा है.. इसके बाद भी उसको मारा जा रहा है.. योगी सरकार की आंखें शर्म से झुक जानी चाहिए.. उन्होंने ट्वीट किया कि जो आपके लिए अन्न उगाते हैं उनके साथ ऐसी निर्दयता शर्मनाक है.. वहीं योगी सरकार पर हमला बोलते हुए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि यूपी में किसानों को ट्रांसगंगा सिटी प्रोजेक्ट की ज़मीन के उचित मुआवज़े की जगह बीजेपी की लाठी खाने को मिल रही है... किसानों को गन्ने का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है.. वहीं खड़ी फसल को आवारा पशु चट कर जा रहे हैं.. देश में अन्नदाताओं की आत्महत्याएं बढ़ती जा रही हैं... क्या यही है बीजेपी के विकास का माडल.. वहीं इसी मुद्दे पर सपा नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल उन्नाव पहुंचा और उसने किसानों से मुलाकात की.. इस दौरान सपा के वरिष्ठ नेता अहमद हसन भी उन्नाव पहुंचे और उन्होंने किसानों से विस्तार से बात की.. वहीं मामले पर सफाई देते हुए डीएम देवेंद्र पांडे ने कहा कि किसानों को पहले ही मुआवजा दिया जा चुका है. उन्होंने कहा कि प्रशासन पर किसानों का बिल्कुल भी बकाया नहीं है.. उन्होंने कहा कि किसान बहकावे में आकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.. उन्होंने ये भी कहा कि जिस किसी ने भी कानून हाथ में लिया है उसके ऊपर सख्त कार्रवाई की जाएगी....




उन्नाव में किसानों का उग्र आंदोलन करना अपनी जगह गलत हो सकता है.. लेकिन पुलिस का निरंकुश रवैया और किसानों पर बर्बर लाठीचार्ज भी कोई कम गलत काम नहीं है... अगर सही समय पर सरकार और नौकरशाही ने किसानों की मांगों पर गौर किया होता तो किसानों को उग्र आंदोलन ना करना पड़ता... उन्नाव में किसानों की समस्याओं के लिए बसपा, सपा और बीजेपी की सरकारें बराबर की जिम्मेदार हैं.. 
  फोटो- उन्नाव में प्रस्तावित ट्रांसगंगा सिटी का प्रारूप

जब 2007 में बसपा सरकार ने प्रति बीघा 5 लाख रुपये से ज्यादा पैसा देने का वादा किया था तो किसानों को चंद रुपया देकर क्यों टरका दिया गया.. वहीं बीजेपी सरकार ने भी क्यों समय रहते किसानों की समस्या का समाधान नहीं किया.. जो भी हो किसानों के साथ किसी भी हालत में अन्याय नहीं होना चाहिए.. फिलहाल देखना अहम होगा कि इस गंभीर मुद्दे को बीजेपी सरकार किस तरह से सुलझा पाती है.. 


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