विलुप्त की और बढ़ता जा रही है धरती-10 लाख प्रजातियों पर खतरा
कितनी सुंदर है ये धरती...न जाने इसपर
कितने प्रकार के जीवों का निवास है..सच में समय के साथ साथ सबकुछ बदलता जा रहा
है..वहीं जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण इस धरती को विनाश की ओर ले जा रहा है..समय
चक्र के जाल पुरे विश्व धीरे धीरे बड़ता जा रहा है..इस के साथ ही कोई जानवर पृथ्वि
से विलुप्त हो गये या विलुप्त की ओर जा रहें है...आपको बताते चले कि पृथ्वि 8 समय
चक्र के साथ चलता आ रहा है..इस में यह अंतिम समय यात्रा है...8 समय यात्रा इस
प्रकार है...1) अग्नि काल 2) हीम काल 3) जल काल 4) आदि काल 5) वैदिक काल 6) बौना काल 7) लंबे यानी बृहत
काल 8) वर्तमान काल.......
विज्ञान की विकास और उद्दौगिक करण के कारण धरती
पर असर दिखाई दे रहा है..सबसे ज्यादा जानवरों के उपर असर दिखाई दे रहा है..इससे
मानव सभ्यता भी बच नहीं पा रहा है..जानवरों विलुप्ति के कगार पर पहुंची प्रजातियों की सूची लंबी होती जा रही
है.. इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर की ताजा
रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर की लगभग 20 फीसदी प्रजातियां लुप्त होने के कगार पर हैं..
आईयूसीएन द्वारा विलुप्ति के खतरे से जूझ रही प्रजातियों की एक रेड लिस्ट जारी किया
है... इसमें कहा गया है कि अगर हालात नहीं सुधारे तो कई
अन्य प्रजातियां विलुप्त हो सकती हैं..आईयूसीएन की यह लिस्ट 1,05,732 प्रजातियों के आकलन के
बाद तैयार की गई है.. अब तक 1 लाख प्रजातियों पर ही अध्ययन
किया गया था, लेकिन अब इसका दायरा बढ़ गया है.. इस नई लिस्ट में ताजा पानी और गहरे समुद्र में रहने वाली
प्रजातियों की गिरावट को खतरनाक माना गया है। उदाहरण के लिए, जापान की ताजे पानी में रहने वाली मछलियों में से 50
प्रतिशत से अधिक विलुप्त होने के कगार पर है।
हम सब सकुशल रहें और भावी पीढ़िया बेहतर
पर्यावरण का आनंद ले पाएं इसके लिए बेहद जरूरी है... कि हमारी धरा भी पूरी तरह
सुरक्षित रहे... समूची दुनिया में हमारे अस्तित्व को आधार देने वाली धरती को कई
तरह से चोट और नुकसान पहुंचाया जा रहा है... स्थिति यहां तक आ पहुंची है कि धरती
की लगातार हो रही क्षति ने इस पृथ्वी पर छठवीं बार सामूहिक प्रजातियों की विलुप्ति
का संकट खड़ा कर दिया है...
समय चक्र के् साथ बदलती जा रही है -मानव सभ्यता
IUCN की एक
प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि नदियों में ताजे पानी के बहाव और कृषि क्षेत्र
और शहरों में बढ़ते प्रदूषण के कारण प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं..कई अलग-अलग
कारणों से ताजे पानी में रहने वाली 18,000 प्रजातियां खतरे में है... महासागरीय
प्रजातियों में, वेज फिश और विशालकाय गिटार मछली, जिन्हें सामूहिक रूप से राइनो किरणों के रूप में जाना जाता है... को उनके
लम्बी सांसों के कारण, दुनिया में सबसे अधिक समुद्री मछली
परिवारों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है...आईयूसीएन के मूल्यांकन में इनमें लगभग
50 फीसदी विलुप्ति का आकलन किया गया है.. रिपोर्ट में कहा
गया है कि इनमें से लगभग 873 पहले से ही विलुप्त हो चुके हैं
जबकि 6,127 ऐसे हैं, जो विलुप्ति के
कगार पर हैं... उल्लेखनीय है कि जैव विविधता के लिए वैश्विक रणनीतिक योजना (2011-2020)
के लक्ष्य-12 के मुताबिक प्रजातियों के
विलुप्त होने के सिलसिले को 2020 तक रोका जाना होगा.. इसमें
यह भी लक्ष्य रखा गया है कि प्रजातियों की संरक्षण स्थिति में सुधार लाया जाएगा,
लेकिन इससे एक साल पहले आई यह रिपोर्ट चिंताजनक है..
गौरतलब है कि
इस लिस्ट में डीयर माउस या छोटे हिरण जैसे जीवों की विलुप्त
होने की आशंका जताया गई थी..आपको बतादे की ये दुर्लभ प्रजाति हिरण पिछले कुछ दिन
पहले वियतनाम की उत्तर पश्चिमी जंगल में देखा गया है..विशेषज्ञों का कहना है कि यह
जानवर लगभग 30 साल बाद दिखाई दिया है...यह अंतिम बार 1990 सन में देखा गया था...
नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन ने अपने लेख में ये जानकारी दी.. पशु विशेषज्ञों का कहना
है कि यह एक रोपोली बैक शेवरॉनिन या एक माउस हिरण है...यह चूहे जैसा कुछ दिखता है..1910 साल में पहली बार वे हो ची मिन्ह सिटी से 5
किमी दूर नेह ट्रांग में पहली बार देखा गया था... यह पूरी तरह स्पष्ट हो गया है कि मानवीय दखल भरे इस युग में
पर्यावरण को अब तक की सबसे भारी क्षति पहुंची है। यह भी सर्वविदित है कि दुनिया
तेजी से धरती द्वारा निर्धारित सीमाओं से परे जाकर रहने की क्षमताओं का विस्तार कर
रही है। कुछ खबरें लगातार हमारी नजरों के सामने आ रही हैं जो बार-बार याद दिलाती
हैं कि पर्यावरण के कुप्रबंधन के कारण स्वास्थ्य का संकट बढ़ गया है और दुनिया
जलवायु परिवर्तन का दंश झेल रही है।
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