दुनिया भर में कोरोना वायरस (Corona Virus) और उसके नए ओमीक्रोन वैरिएंट (Omicron Variant) ने तबाही मचा रखी है। इसे रोकने के लिए कई सारे वैक्सीन भी दुनिया में मौजूद हैं। इसी क्रम में एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया है की, “मौजूदा समय में उपलब्ध कोरोना वायरस (Corona Virus) के वैक्सीन (Vaccine) शरीर को लंबे समय तक टिकने वाली बेहद प्रभावी टी-कोशिकाओं (T-Cells) के उत्पादन के लिए प्रेरित करते हैं। ये टी-कोशिकाएँ (T-Cells) ओमीक्रोन वैरिएंट (Omicron Variant) सहित सार्स-कोव-2 वायरस (SARS-COV-2 Virus) के अन्य स्वरूपों की पहचान करने और गंभीर संक्रमण का ख़तरा घटाने में क़ारगर हैं। टी और बी कोशिकाएँ (T & B Cells) किसी भी संक्रमण के ख़िलाफ़ प्रतिरोधक क्षमता निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाती हैं।”
अमेरिका (America) के ला जोला इंस्टीट्यूट फॉर इम्युनोलॉजी (La Jolla Institute for Immunology) के शोधकर्ताओं ने उन वयस्कों में 4 कोविड रोधी टीकों (फ़ाइज़र-बायोएनटेक, मॉडर्ना, जानसन और नोवावैक्स) का असर आँका। इसमें जिनका पूर्ण टीकाकरण तो किया जा चुका है, लेकिन उन्हें बूस्टर ख़ुराक नहीं हासिल हुई है। शोधकर्ताओं ने पाया कि टीके से पैदा ज़्यादातर टी-कोशिकाएँ (T-Cells) ओमीक्रोन वैरिएंट (Omicron Variant) के ख़िलाफ़ भी प्रभावी हैं। ला जोला इंस्टीट्यूट फॉर इम्युनोलॉजी (La Jolla Institute for Immunology) के प्रोफ़ेसर और शोध के सह-लेखक शेन क्रॉटी (Shane Crotty) ने कहा की, “ये टी-कोशिकाएँ (T-Cells) व्यक्ति को संक्रमित होने से नहीं बचा पाएँगी, लेकिन ज़्यादातर मामलों में ये संक्रमण को गंभीर रूप अख़्तियार करने से रोकने में सफल रहेंगी।”
शोध दल से जुड़ी एल्बा ग्रिफ़ोनी (Alba Grifoni) ने बताया की, “अध्ययन में शामिल चारों टीके ओमीक्रोन वैरिएंट (Omicron Variant) के ख़िलाफ़ प्रभावी मिले हैं और इनका असर टीकाकरण के 6 महीने बाद तक रहता है।” शोधकर्ताओं ने कहा की, “ओमीक्रोन वैरिएंट (Omicron Variant) में मौजूद 15 म्यूटेशन (जेनेटिक उत्परिवर्तन) इसके ख़िलाफ़ ज़्यादा बी-कोशिकाएँ (B Cells) बनने से रोकते हैं। इसका मतलब यह है कि शरीर ओमीक्रोन संक्रमण (Omicron Infection) से निपटने के लिए ऐंटीबॉडी (Anti-Body) का उत्पादन धीमी गति से ज़रूर करता है, लेकिन वह इससे लड़ने में पूरी तरह से अक्षम नहीं होता।”
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