पेगासस स्पाइवेयर मामले (Pegasus Spyware Case) की जाँच के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की ओर से बनाई गई तकनीकी कमेटी ने उन लोगों से जानकारी मांगी है जिन्हें संदेह है कि उनके फ़ोन को निशाना बनाया गया था। अक्टूबर महीने में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर कई याचिकाओं की सुनवाई करते हुए 3 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति के गठन का आदेश दिया था। समिति ने एक सार्वजनिक नोटिस में ऐसे लोगों से 7 जनवरी तक संपर्क करने को कहा है। कमेटी ने यह भी कहा है कि वह फ़ोन की जाँच के लिए तैयार है।
न्यूज़ पोर्टल द वायर (The Wire) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 142 से अधिक लोगों को इज़रायली सॉफ़्टवेयर पेगासस (Israeli Software Pegasus) के ज़रिए निशाना बनाया गया था। रिपोर्ट में बताया गया था कि एमनेस्टी इंटरनेशनल (Amnesty International) की सिक्योरिटी लैब (Security Lab) द्वारा कुछ सेलफ़ोन (Cellphone) की फ़ॉरेंसिक (Forensic) जाँच में सुरक्षा में सेंध की पुष्टि हुई थी।
जिन लोगों की जासूसी हुई थी, उसमें शामिल हैं-
- कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi)
- चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishore)
- 2 मौजूदा केंद्रीय मंत्री
- 1 पूर्व चुनाव आयुक्त
- सुप्रीम कोर्ट के 2 रजिस्ट्रार
- 1 पूर्व जज का पुराना नंबर
- 1 पूर्व अटॉर्नी जनरल (Attorney General) के क़रीबी सहयोगी
- 40 पत्रकार
पेगासस (Pegasus) के मालिक, एनएसओ ग्रुप (NSO Group) ने कहा था की, ‘हम केवल सरकारों और सरकारी एजेंसियों के साथ व्यापार करते हैं।’ इस मामले पर संसद में सरकार की ओर से बयान दिया गया था. लेकिन, संसद के किसी भी सदन में इस मामले पर चर्चा नहीं हुई थी, जिसके बाद विपक्ष ने क़ाफ़ी हंगामा भी किया था।
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