उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत (Harish Rawat) के एक ट्वीट के बाद आज (23 दिसंबर) अपनी पार्टी के लिए और परेशानी भरे संकेत दिए। अपने पिछले ट्वीट में रावत (Rawat) ने ख़ुद के 'हाथ-पैर बंधे' होने की बात कही थी। इस ट्वीट के बारे में सफ़ाई देने के बजाए उन्होंने कहा की, "समय आने पर बोलेंगे, यानी जवाब देंगे"
हरीश रावत (Harish Rawat) को अगले साल होने वाले उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के चेहरे के रूप में भी देखा जा रहा है। कल (22 दिसंबर) रावत (Rawat) ने ट्वीट के ज़रिए कहा था की, “है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुँह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है। जिस समुद्र में तैरना है, सत्ता ने वहाँ कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं। जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं। मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिये, अब विश्राम का समय है! फिर चुपके से मन के एक कोने से आवाज़ उठ रही है ‘न दैन्यं न पलायनम्’ बड़ी उहापोह की स्थिति में हूँ, नया वर्ष शायद रास्ता दिखा दे। मुझे विश्वास है कि भगवान केदारनाथ जी इस स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करेंगे।”
इस ट्वीट के बारे में सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा की, "समय आने पर, मैं आपके साथ सब कुछ साझा करूँगा। अगर मैं आपसे बात नहीं करूँगा तो मैं और किससे बात करूँगा? मैं आपको फ़ोन करूँगा। अभी के लिए, बस मजे लीजिए।"
रावत के ट्वीट पर कांग्रेस के G-23 के अहम सदस्य मनीष तिवारी (Manish Tiwari) ने प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया है, "पहले असम (Assam), फिर पंजाब (Punjab), अब उत्तराखंड (Uttarakhand)। भोग पूरा ही पाउण गे, कसर न रह जावे कोई"
हरीश रावत (Harish Rawat) ने अपने ट्वीट में किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा शीर्ष नेतृत्व की तरफ़ ही माना जा रहा है। पार्टी राज्य की सत्ता में आने को आश्वस्त थी, लेकिन अब पार्टी के सामने संकट खड़ा हो गया है। रावत (Rawat) के ट्वीट्स से आलाकमान भी परेशान में आ गए हैं।
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