Himachal Pradesh's Construction Day: "बर्फ़ीले पहाड़ों का प्रांत" है हिमांचल

 हिमाचल प्रदेश उत्तर-पश्चिमी भारत में स्थित एक राज्य है।  इस प्रदेश को 'देवभूमि' भी कहा जाता है। हिमाचल प्रदेश का शाब्दिक अर्थ "बर्फ़ीले पहाड़ों का प्रांत" है। इस क्षेत्र में आर्यों का प्रभाव ऋग्वेद से भी पुराना है। 15 अप्रैल, 1948 ई. को हिमाचल प्रदेश राज्य का निर्माण किया था।

हिमाचल प्रदेश की वादियां आंग्ल-गोरखा युद्ध के बाद यह ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार के हाथ में आ गयी थी। सन् 1857 तक यह महाराजा रणजीत सिंह के शासन के अधीन पंजाब राज्य का हिस्सा था। 1950 में इस राज्य को केन्द्र शासित प्रदेश बनाया गया, परन्तु 1971 में 'हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम-1971' के अन्तर्गत इसे 25 जून, 1971 को भारत का अठारहवाँ राज्य बना दिया गया।

हिमाचल प्रदेश का इतिहास उतना ही प्राचीन है, जितना कि मानव अस्तित्व का अपना इतिहास है। इस बात की सत्यता के प्रमाण हिमाचल प्रदेश के विभिन्न भागों में हुई खुदाई में प्राप्त सामग्रियों से मिलते हैं। प्राचीन काल में इस प्रदेश के आदि निवासी दास, दस्यु और निषाद के नाम से जाने जाते थे।

उन्नीसवीं शताब्दी में रणजीत सिंह ने इस क्षेत्र के अनेक भागों को अपने राज्य में मिला लिया। जब अंग्रेज़ यहां आए, तो उन्होंने गोरखा लोगों को पराजित करके कुछ राजाओं की रियासतों को अपने साम्राज्य में मिलाया। 'शिमला हिल स्टेट्स' की स्थापना 1945 ई. तक प्रदेश भर में प्रजा मंडलों का गठन हो चुका था।

1946 ई. में सभी प्रजा मंडलों को एचएचएसआरसी में शामिल कर लिया तथा मुख्यालय मंडी में स्थापित किया गया। मंडी के स्वामी पूर्णानंद को अध्यक्ष, पदमदेव को सचिव तथा शिव नंद रमौल (सिरमौर) को संयुक्त सचिव नियुक्त किया था। एचएचएसआरसी के नाहन में 1946 ई. में चुनाव हुए, जिसमें यशवंत सिंह परमार को अध्यक्ष चुना गया।

जनवरी, 1947 ई. में राजा दुर्गा चंद (बघाट) की अध्यक्षता में 'शिमला हिल्स स्टेट्स यूनियन' की स्थापना की गई। जनवरी, 1948 ई. में इसका सम्मेलन सोलन में हुआ। हिमाचल प्रदेश के निर्माण की घोषणा इस सम्मेलन में की गई थी।

दूसरी तरफ़ प्रजा मंडल के नेताओं का शिमला में सम्मेलन हुआ, जिसमें यशवंत सिंह परमार ने इस बात पर जोर दिया कि हिमाचल प्रदेश का निर्माण तभी संभव है, जब शक्ति प्रदेश की जनता तथा राज्य के हाथ सौंप दी जाए।

शिवानंद रमौल की अध्यक्षता में 'हिमालयन प्लांट गर्वनमेंट' की स्थापना की गई, जिसका मुख्यालय शिमला में था। 2 मार्च, 1948 ई. को 'शिमला हिल स्टेट' के राजाओं का सम्मेलन दिल्ली में हुआ।

राजाओं की अगुवाई मंडी के राजा जोगेंद्र सेन कर रहे थे। इन राजाओं ने हिमाचल प्रदेश में शामिल होने के लिए 8 मार्च, 1948 को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। 15 अप्रैल, 1948 ई. को हिमाचल प्रदेश राज्य का निर्माण किया था।

उस समय प्रदेश भर को चार ज़िलों में बांटा गया था और 'पंजाब हिल स्टेट्स' को पटियाला और पूर्व पंजाब राज्य का नाम दिया गया। 1948 ई. में सोलन की नालागढ़ रियासत कों शामिल किया गया। अप्रैल, 1948 में इस क्षेत्र की 27,000 वर्ग कि.मी. में फैली लगभग 30 रियासतों को मिलाकर इस राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया।

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