बिना बिजली-पानी और शौचालय, 15 सालों से छह फीट चौड़ी और आठ फीट लंबी पानी की टूटी हुई टंकी में डेढ़ दशक से गुजर-बसर कर रहा है ये लाचार परिवार। इस परिवार की स्थिति उन तमाम सरकारों के दावो पर पानी फेरती जो गरीबों के लिए कई योजनाएं चलाने का दम भरती हैं।
यह परिवार जिला कुल्लू की आनी खंड की कुठेड़ पंचायत के राईं रेड गांव मे रहता है। गरीबी का बोझ उठाए 15 वर्ष पूर्व जब जियालाल अपने परिवार से अलग हुए तो जमीन के छोटे से टुकड़े के अलावा कुछ भी नहीं था
सिर ढकने के लिए छत भी नसीब नही थी इसीलिए जियालाल ने खेत में खंडहर हो चुकी भू संरक्षण विभाग की पानी की टंकी को आशियाना बना लिया। टंकी पर गांव वालों ने अस्थायी छत डाल दी, जिसके बाद जियालाल पत्नी रीता देवी के साथ वहां रहने लगे।
जियालाल का कहना है कि अब इस टंकी में उनका जी घबराता है। बरसात में पानी भर जाता है। उन्होंने सरकार से मदद मांगी है। परिवार का कहना है कि कल्याण विभाग से उन्हें घर बनाने के लिए पैसा आया था, लेकिन जानकारी के अभाव के चलते राशि नहीं ले पाए। जियालाल को अभी तक बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) की सूची में भी नहीं डाला गया है।स्थानीय वार्ड सदस्य सुरेश कुमार, पूर्व सदस्य जोगिंद्र सिंह ने भी सरकार से जियालाल के परिवार की मदद करने की मांग उठाई है। बीडीसी सदस्य डॉ. नवनीत का कहना है कि इस परिवार को जब उन्होंने इस अवस्था में देखा तो वह हैरान हो गए। उन्होंने कहा कि वह इस परिवार की हर संभव मदद करेंगे।
मेरे ध्यान में यह मामला नहीं था। अप्रैल में होने वाली ग्रामसभा में इस परिवार को बीपीएल सूची में शामिल किया जाएगा। मैं खुद मौके का मुआयना कर परिवार की हर संभव मदद करूंगा। Village In India
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