लखनऊः विवेक तिवारी के हत्यारोपी सिपाही की बर्खास्तगी का तरीका गलत- हाई कोर्ट

 कोर्ट ने कहा कि यूपी पुलिस के अधिकारियों का ये फ़ैसला न्यायसंगत नहीं है. विभाग अगर चाहे तो विभागीय जांच और कार्यवाही कर सकता है पर इस तरह नौकरी से  बर्खास्त नहीं किया जा सकता.


 उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में विवेक तिवारी हत्याकांड में हाई कोर्ट ने  बड़ा फ़ैसला सुनाया है. हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने यूपी पुलिस के उस आदेश  को रद्द किया जिसमें आरोपी सिपाही संदीप कुमार को नौकरी से निकाल दिया गया था. कोर्ट ने कहा कि यूपी पुलिस के अधिकारियों का ये फ़ैसला न्यायसंगत नहीं       रद्द किया जिसमें आरोपी सिपाही संदीप कुमार को नौकरी से निकाल दिया गया था. कोर्ट ने कहा कि यूपी पुलिस के अधिकारियों का ये फ़ैसला न्यायसंगत नहीं विभाग अगर चाहे तो विभागीय जांच और कार्यवाही कर सकता है पर इस तरह नौकरी से बर्खास्त नहीं किया जा सकता. 

दरअसल, 29 सितम्बर 2018 को लखनऊ में एप्पल कम्पनी में काम करने वाले मैनेजर विवेक तिवारी को पुलिस ने गोमती नगर में मार दिया था. आरोपी का कहना था कि विवेक  संदिग्ध रूप से गाड़ी में मौजूद थे और रोकने पर उन्होंने पुलिस पर गाड़ी चढ़ाने की कोशिश की थी. हालांकि बाद मे जांच में पता चला कि पुलिस ने लापरवाही में गोली चलाई थी. जबकि विवेक के पास कोई हथियार या संदिग्ध वस्तु नहीं थी.

  इस मामले में यूपी पुलिस और सरकार की फ़ज़ीहत भी हुई थी. बाद में आरोपी को गिरफ्तार कर उसे नौकरी से निकाला गया था. पुलिस की गोली का शिकार हुए विवेक तिवार पत्नी को सरकार ने मकान और नौकरी भी दिलाया था. इस मामले में आरोपी ने कोर्ट में अर्ज़ी लगा रखी है जिसपर सुनवाई करते हुये अदालत ने ये फ़ैसला दिया है




 

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