कोलंबिया विश्वविद्यालय के 'द जुकरमैन माइंड ब्रेन बिहेवियर इंस्टीट्यूट' के वैज्ञानकों ने एक प्रणाली विकसित की है जो दिमाग में चल रहे विचारों का भाषाई स्वरूप में अनुवाद करने में सक्षम है। यह तकनीक स्पीच सिंथेसाइजर और कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल कर दिमाग में सोचे गए शब्दों को पढ़ने में सक्षम है।
शोध के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. नीमा मेसगरानी का कहना है कि यह तकनीक ऐसे लोगों के लिए जुबान का काम करेगी जो लकवाग्रस्त हैं या मिर्गी व ब्रेन स्ट्रोक से उबर रहे हैं। मिर्गी पीड़ितों की अनुमति मिलने के बाद उन पर प्रयोग किया गया।
शोध के मुताबिक, मिर्गी के मरीजों की सर्जरी के दौरान शोधकर्ताओं ने स्पीकर की मदद से उन्हें 0 से 9 तक के नंबर सुनाए। आवाज सुनने के दौरान मरीज के दिमाग में जो एक्टिविटी हुई उससे निकलने वाले सिग्नलों को रिकॉर्ड किया गया।
इन सिग्नल्स को कंवर्ट होने के बाद वोकोडर (स्पीच सिंथेसाइजर मशीन) की मदद से आवाज निकाली गई। यह आवाज बिलकुल उसी क्रम में थी, जो मरीजों को सुनाई गई थी।
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