पश्चिम Bengal में विधानसभा चुनाव से पहले सियासी गलियारों में सरगर्मी तेज है। वहीं इस बीच गठबंधन को लेकर कांग्रेस में आपसी कलह शुरू हो गई है। कांग्रेस के सीनियर नेता आनंद शर्मा फुरफुरा शरीफ के अब्बास सिद्दीकी से गठबंधन को लेकर सवाल उठाए तो पश्चिम Bengal कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी भड़क गए। अधीर रंजन ने आनंद शर्मा पर भाजपा को खुश करने वाला बयान देने का आरोप लगाया है। अधीर रंजन ने आनंद शर्मा को जमकर खरी खोटी सुनाई है।
एक मीडिया चैनल से बात करते हुए अधीर रंजन ने कहा, ”मुझे तो बेहद अजीब लग रहा है कि आनंद शर्मा हमारी पार्टी में रहते हुए दूसरों की बात कैसे कर सकते हैं। ऐसे बयानों से विपक्ष मजबूत हो जाता है। जो कह रहे हैं वो कोई छोटे मोटे नेता तो नहीं हैं। वो समझदार हैं, वरिष्ठ हैं, ज्ञानी हैं लेकिन फिर भी ऐसी आधारहीन बात करने की क्या जरूरत है।
अधीर रंजन ने कहा, ”आनंद शर्मा का यह बयान बीजेपी की लाइन है, बीजेपी में सांप्रदायिक बनाना चाहती है और यह बयान भी वैसा ही है। पश्चिम Bengal में यह आनंद शर्मा को पहचानता नहीं है और उनकी बात कोई तवज्जो भी नहीं देता है। इनकी कोई अहमियत नहीं है, यह ठन ठन गोपाल के बोलने से क्या होगा? ” उन्होंने कहा कि आनंद शर्मा ने ट्विटर पर जो लिखा वो कांग्रेस नेतृत्व की नजर में आने के लिए लिखा लेकिन उनकी बात बिल्कुल आधारहीन है।
आनंद शर्मा ने क्या कहा था?
आनंद शर्मा ने पश्चिम Bengal में मुस्लिम धर्मगुरु अब्बास सिद्दीकी के नेतृत्व वाले इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के साथ पार्टी के गठजोड़ की आलोचना की। उन्होंने कहा कि सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई में चयनात्मक नहीं हो सकती है। हमें सांप्रदायिकता के हर रूप से लड़ना है। शर्मा ने ट्विटर पर कहा, ‘‘आईएसएफ और ऐसे अन्य दलों के साथ कांग्रेस का गठबंधन पार्टी की मूल विचारधारा, गांधीवाद और नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है… इन मुद्दों पर कांग्रेस कार्य समिति से मंजूरी लेने की जरूरत है।’’
इससे पहले शर्मा ने कोलकाता में संयुक्त रैली में भाग लेने के लिए पश्चिम बंगाल कांग्रेस प्रमुख अधीर रंजन चौधरी से स्पष्टीकरण मांगा, जहां आईएसएफ नेता मौजूद थे। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी उपस्थिति और समर्थन ‘‘कष्टदायक और शर्मनाक’’ थी।
क्या है मामला ?
कांग्रेस और लेफ्ट के साथ अब्बास सिद्दीकी की पार्टी आईएसएफ के शामिल होने से सीटों पर फसाद बढ़ गया है। अभी आईएसएफ को सीपीएम 30 सीटें देने को तैयार हुई है, लेकिन ISF कांग्रेस के हिस्से से भी सीटों की मांग कर रहा है। कांग्रेस 2016 के प्रदर्शन का हवाला देकर एक भी सीट छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। कांग्रेस 2016 में 92 सीटों पर चुनाव लड़कर 44 सीटें जीती थीं। इस बार भी कांग्रेस 130 सीटों की मांग कर रही थी लेकिन उसके खाते में 92 सीटें ही आई हैं।
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