गाजीपुर और हरियाणा की कहानी का कौन है जिम्मेदार? और क्या है Rakesh Tikait की पगड़ी का राज ?

 Rakesh Tikait : गणतंत्र दिवस पर जब लाल किला में उपद्रव हुआ था, तो किसान आंदोलन को लेकर बहुत सी ऐसी खबरें सामने आने लगी थीं कि, तो लगा कि अब ये पड़ाव यहीं पर समाप्त हो जाएगा।

Rakesh Tikait : गणतंत्र दिवस पर जब लाल किला में उपद्रव हुआ था, तो किसान आंदोलन को लेकर बहुत सी ऐसी खबरें सामने आने लगी थीं कि, तो लगा कि अब ये पड़ाव यहीं पर समाप्त हो जाएगा।

लेकिन किसान आंदोलन से जुड़े एक प्रमुख नेता, जो सरकार के साथ बातचीत में शामिल नहीं थे, मगर उनकी सक्रियता लगातार जारी रही। Rakesh Tikait राजस्थान में बड़े किसान आंदोलनों का नेतृत्व किया है। बुधवार को उन्होंने एक अनौपचारिक बातचीत में कई राज खोले।

लेकिन तथ्य दूसरे नंबर पर चले जाते हैं। गणतंत्र दिवस के बाद इन भावनाओं में कुछ ज्यादा ही तेजी आ गई। आंसू-आधार में बदल गए हैं। अब जैसा भी है, लेकिन हमें यह भरोसा है कि, अब किसान के मन के भाव जीतेंगे।

 

केंद्रीय सुरक्षा बल के एक अधिकारी का बयान

लेकिन उस रात यानी की  गणतंत्र दिवस पर गाजीपुर के धरना स्थल पर मौजूद केंद्रीय सुरक्षा बल के एक अधिकारी का कहना है, Rakesh Tikait को गिरफ्तार करने की पूरी तैयारी हो चुकी थी।

यहां तक कि ये भी तय हो गया था कि, Rakesh Tikait को पुलिस कहां ले जाएगी। लेकिन अचानक से गिरफ्तारी टलने कि खबर हम सब के सामने आती है। इसके साथ-साथ Rakesh Tikait के आंसुओं की कवरेज के लिए मीडिया कर्मियों को भी खूब इजाजत दी गई।

अगले ही दिन Rakesh Tikait के सिर पर पगड़ी बंध चुकी थी। फिर अचानक से वे सरकार को ललकारने की भाव में आ गए।

 

उपद्रव नहीं होता तो, किसानों की बड़ी फूट का सामने आती

किसान नेता के मुताबिक, जब यह आंदोलन बीच में लचक रहा था तो उस वक्त के कई साथी Rakesh Tikait को एक कमजोर कड़ी मानने लगे थे। उन्होंने संयुक्त किसान मोर्चा की सहमति के बिना ही मीडिया में कुछ बयान दे दिया था।

और अगर लालकिला वाला उपद्रव नहीं होता, तो किसानों की बड़ी फूट का सामनै करना तय था। सरकार चाहती थी कि ऐसे ही नेता बातचीत में शामिल रहें। यही वजह रही कि बातचीत करने वाले किसानों की संख्या 32 से 40 तक पहुंची गई।

सरकार ने आखिर क्यों टाली Rakesh Tikait की गिरफ्तारी ?

सरकार के साथ वार्ता में शामिल पंजाब से जुड़े एक किसान नेता ने कहा, हम आंदोलन को सफल होते देखना चाहते हैं। सरकार ने बंदूक, किसी के कंधे पर रख कर चलाई है, इसे लोग समझते हैं।

सारा आंदोलन एक ही व्यक्ति के चारों तरफ घूमने लगा, वही प्रमुख चेहरा बन गया, ये सामान्य बात नहीं है। Rakesh Tikait अकेले ही हरियाणा में पहुंच गए, और फिर बाकी नेता कहां थे ? अब आने वाला समय ही यह कि Rakesh Tikait सरकार के लिए नर्म भाव होते हैं या वे अपना आक्रामक जारी रखते हैं।

Rakesh Tikait ने बुधवार को जींद के कंडेला गांव में हुई किसान महापंचायत में साफ कर दिया है कि उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा। जब तक सरकार उनकी सभी मांगों को नहीं मान लेती। इसमें तीनों कानूनों को रद्द करना भी शामिल है।

सरकार के सम्पर्क में रहने वाले सभी नेता, फील्ड और टेबल के मास्टर नहीं होते

किसान नेता के अनुसार , सरकार के सम्पर्क में रहने वाले सभी नेता, फील्ड और टेबल के मास्टर नहीं होते  हैं, और दोनों चीज़ों में फर्क होता है। इन सभी के सामने अलग-अलग फाइल रखी गई सिर्फ यह जानने के लिए कि, ये कानून क्यों वापस लें।

जब आंदोलन पंजाब के किसान नेताओं के पास रहा तो उन्होंने राजनेताओं को निकट नहीं आने दिया। पंजाब मॉडल पर चलने वाला किसान आंदोलन सही राह पर जा रहा था। लेकिन गणतंत्र दिवस के बाद देफा गया कि पंजाब मॉडल बिलकुल ही टूट गया। और कई नेताओ की वजह से आंदोलन की पवित्रता भी कम होती चली गई।

लाल किला घटना के बाद जब किसान संगठन बिखराव की राह पर चल पड़े थे तो उसी समय राकेश टिकैत आगे आ गए।

 

DIGITAL DESK PUBLISHED BY- RIMJHIM SINGH

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