Kumbh Mela 2021: जानें क्या है हरिद्वार की 'हरि की पौड़ी' का रहस्य, क्यों पड़ा ये नाम

 इस साल Kumbh Mela 2021 का स्नान भारत की देवभूमि कहे जाने वाले हरिद्वार में होने वाला है। ऐसे में इस साल हरिद्वार में लगने वाले पूर्ण Kumbh Mela 2021 का पहला विशाल स्नान 11 मार्च 2021 को महाशिवरात्रि के दिन होगा। देश के कोने-कोने से करोड़ों तीर्थ यात्री कुंभ का स्नान करने के लिए हरिद्वार के इसी 'हरि की पौड़ी' पर जाते हैं और पवित्र गंगा नदी में स्नान कर मोक्ष पाते हैं।

बताते चलें कि हरिद्वार के जिस हरि की पौड़ी पर श्रद्धालु कुंभ Kumbh Mela 2021 का स्नान करते हैं पहले उसका नाम भर्तृहरि की पौड़ी था जो बाद में हरि की पौड़ी या हर की पौड़ी कहा जाने लगा तो चलिए जानते हैं इसके पीछे की वजह।

कैसे पड़ा हरि की पौड़ी का नाम

हरि की पौड़ी का नाम पड़ने के पीछे एक कहानी जुड़ी हुई है, दरअसल, राज पाठ का त्याग करने के पश्चात उज्जैन के राजा भर्तृहरि ने इसी हरि की पौड़ी के ऊपर स्थित एक पहाड़ी पर कई सालों तक तपस्या किया था।

इस पहाड़ी के नीचे भर्तृहरि के नाम से एक गुफा आज भी मौजूद है। ऐसा भी कहा जाता है कि तपस्या के दौरान राजा भर्तृहरि जिस रास्ते से उतर कर गंगा स्नान के लिए आए थे उन्हीं रास्तों पर भर्तृहरि के भाई राजा विक्रमादित्य ने सीढियां बनवाई थीं।

राजा भर्तृहरि ने इन्हीं सीढ़ियों को ‘पैड़ी’ का नाम दिया था। चूंकि राजा भर्तृहरि के नाम के अंत में ‘हरि’ मौजूद है। इसीलिए इन सीढ़ियों को ‘हरि की पैड़ी’ या ‘हरि की पौड़ी’ कहा जाता है। ‘हरि की पौड़ी’ को दूसरे अर्थ में “हरि यानी नारायण के चरण” भी कहा जाता है।

यहीं गिरी थीं अमृत की बूंदें

ऐसी भी मान्यता है कि ‘हरि की पौड़ी’ ही वह स्थान है जहां पर समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत कलश की बूंदें गिरी थीं। ‘हरि की पौड़ी’ को हरिद्वार का सबसे पवित्र घाट माना जाता है। एक दूसरी मान्यता के अनुसार इसी ‘हरि की पौड़ी’ पर वैदिक काल में श्रीहरि विष्णु और शिव जी प्रकट हुए थे। ऐसा भी कहा जाता है कि यहीं पर ब्रह्मा जी ने एक यज्ञ भी किया था।

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