Bharat Bandh जब से देश का आम बजट पेश हुआ तब से लगातार बढ़ रही तेल के दामों ने आम जनता की जेब पर अधिक बोझ डाला है। वहीं आज देश में लगातार पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों, गुड्स एवं सर्विस टैक्स, ई-बिल को लेकर व्यापारिक संस्था द कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स की तरफ से आज bharat bandh का ऐलान किया गया है।
देशभर के 8 करोड़ व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले करीब 40 हजार ट्रेड एसोसिएशंस ने कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) की तरफ से किए जाने वाले ‘bharat bandh’ का समर्थन किया है। यह बंद वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के प्रावधानों में समीक्षा की मांग को लेकर किया जा रहा है।
ई-वे बिल को खत्म करने को लेकर ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन (एआईटीडब्ल्यूए) ने भी कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स की ओर से किए जाने वाले bharat bandh का समर्थन किया है।
Bharat Bandh: एक बयान में कैट ने कहा है कि देश भर में सभी ट्रांसपोर्ट कंपनियां शुक्रवार को बंद रहेंगी। इसके अलावा उसने कहा कि लघु उद्योग, हॉकर्स, महिला उद्यमी, स्वयं उद्यमियों एवं व्यापार से जुड़े अन्य क्षेत्रों के राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय संगठन भी व्यापार बंद को अपना समर्थन देंगे।
बयान में कहा गया है कि सभी राज्यों में चार्टर्ड अकाउंटेंट एवं टैक्स अधिवक्ता के संगठन भी बंद को समर्थन देंगे। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी. भरतिया और महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि दिल्ली सहित देश भर में सभी राज्यों के लगभग 1500 छोटे-बड़े संगठन शुक्रवार को धरना देंगे।
भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि 22 दिसंबर और उसके बाद जीएसटी नियमों में एकतरफा अनेक संशोधन किये गए जिनको लेकर देश भर के व्यापारियों में बड़ा गुस्सा है. इन संशोधनों द्वारा कर अधिकारियों को असीमित अधिकार दिए गए हैं, जिनमें विशेष तौर पर अब कोई भी अधिकारी अपने विवेक के अनुसार कोई भी कारण से किसी भी व्यापारी का जीएसटी रजिस्ट्रेशन नंबर ससपेंड कर सकता है।
उन्होंने कहा की इस प्रकार के नियमों से न केवल भ्रष्टाचार बढ़ेगा बल्कि अधिकारी किसी भी व्यापारी को प्रताड़ित कर सकेंगे। भरतिया एवं खंडेलवाल ने कहा कि इसी प्रकार जिस तरह से विदेशी ई कॉमर्स कंपनियां अपने मनमाने तरीके से ई-कॉमर्स के कानून एवं नीतियों का उल्लंघन कर रही है।
उसको रोकने के लिए सरकार को शीघ्र ही एफडीआई पालिसी में नया प्रेस नोट जारी करना चाहिए और कानून का उल्लंघन करने वाली ई कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
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