साल 2021 कई सियासी पार्टियों की किस्मत बदलने वाला है। क्योंकि इस साल 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। वहीं पश्चिम बंगाल कुछ ज्यादा ही चर्चा में है वो इसलिए क्योंकि दो बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री रह चुकी ममता बनर्जी के लिए इस बार जीत हासिल करना आसान नहीं होगा पहला तो भाजपा से उन्हें कड़ी टक्कर मिलने वाली है टीएमसी के कई नेता उनके किनारा कर भाजपा में शामिल हो गए हैं वहीं दूसरी तरफ असदुद्दीन ओवैसी भी उनके लिए चिंता का विषय बन सकते हैं। गौरतलब हो की बिहार चुनाव में ओवैसी ने सारा चुनावी समीकरण बदलकर रख दिया था।
ओवैसी ने 4 सीटों में जीत हासिल कर 8/9 सीटों में बड़ी संख्या में आरजेडी की वोट काटकर भाजपा को इसका फायदा पहुंचाया था। बंगाल चुनाव में भी ओवैसी फैक्टर तो पहले से ही टीएमसी के लिए थोड़ा चिंताजनक बना हुआ है। इतना ही नहीं अब नई पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट की भी है। दरअसल, पिछले सोमवार को नई पार्टी का लॉन्च किया गया है और फुरफुरा शरीफ दरगाह को बंगाल सहित पूरे देश में मुस्लिमों के लिए बहुत ही पाक जगह माना जाता है, और इसी फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दिकी ने इस पार्टी की शुरुआत की है।
अब्बास सिद्दिकी ने तो कहा है कि ये पार्टी मुस्लिमों के साथ-साथ आदिवासी और दलितों के लिए काम करेगी। यानी पिछड़े वर्ग के लिए काम करना चाहती है इंडियन सेक्युलर फ्रंट से कही ना कही टीएमसी का प्रेशर बढ़ेगा मुस्लिम वोट के काटने की संभावना को लेकर बंगाल में लगभग 125 सीटें ऐसी है जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या करीब-करीब 25 फीसदी या फिर उससे भी ज्यादा है।
ऐसी सीटों की तरफ जरूर निशाना करने वाली है असदुद्दीन आवैसी की पार्टी और इंडियन सेक्युलर फ्रंट अब्बास सिद्दीकी ने कहा है कि ओवैसी या फिर सीपीएम या कांग्रेस के साथ उनके गठबंधन की संभावना भी बरकरार है। हालांकि आपको बता दें कि त्वहा सिद्दीकी, जो कि अब्बास सिद्दीकी के चाचा है वो अभी भी टीएमसी के साथ ही है। यानी फुरफुरा शरीफ भी राजनीतिक रूप से हो हिस्सों में बंट गई है।
बता दें कि एआईएमआईएम को जहां-जहां जीत मिली है उसमें से किशनगंज के कोचाधामन, पूर्णिया के अमौर और वैसी पश्चिमबंगाल के उत्तर दिनाजपुर से सटा हुआ है। कटिहार के बहादुरगंज मालदह के पास है। यहां भी असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी को जीत मिली है। सिर्फ यही नहीं असदुद्दीन ओवैसी ने ठाकुरगंज जैसे जगह पर भी मुस्लिम वोट कटुआ पार्टी बनकर महागठबंधन के मामला खराब किया है।
बंगाल में टीएमसी की परेशानी बढ़ने का सबब यह है कि टीएमसी कैंप मे मुस्लिम वोट बैंक टीएमसी के लिए काफी अहम है आपको बता दें कि मालदह मे हिन्दू वोटर हैं लगभग 48 प्रतिशत और मुस्लिम वोटर हैं करीब 52 प्रतिशत। ऐसे में उत्तर दिनाजपुर में भी मुस्लिम वोटरों की संख्या लगभग 51 प्रतिशत है।
साल 2016 विधानसभा चुनाव में टीएमसी को उत्तर दिनाजपुर की 9 सीटों में से 4 में जीत मिली थी। वही लेफ्ट कांग्रेस गठबंधन को 5 सीटों पर जीत मिली थी। मालदह में लेफ्ट और कांग्रेस गठबंधन के खाते में 12 में से 11 सीटें गई थी। हालांकि ये इतिहास है और जानकारों का मानना है कि इस बार लड़ाई टीएमसी और बीजेपी के अंदर ही होने वाली है इस दो जिलों में और वोट में पोलराइजेशन इफ़ेक्ट काफी ज्यादा होने वाला है।
बंगाल चुनाव में एआईएमआईएम फैक्टर होगा अहम
ऐसे में यदि असदुद्दीन ओवैसी मुस्लिम वोटरों से 8 से 10 प्रतिशत तक वोट काट लेते हैं तो मामला बिगड़ सकता है। टीएमसी केलिए कोलकाता शहर में भी 2-3 ऐसी सीट हैं जहां उर्दू बोलने वाले मुस्लिम वोटरों की संख्या काफी ज्यादा है। ओवैसी की उन सीटों पर भी नजर है सूत्रों का मानना है कि इस साल बंगाल चुनाव में एआईएमआईएम फैक्टर काफी अहम होने वाला है।
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