भारत में साफ पानी का पड़ा अकाल!
- 84% ग्रामीण घरों में आज भी नहीं पहुंचता पानी
- देश का 70% से ज्यादा जल संसाधन है दूषित
- भारत में गंभीर होती जा रही पानी की समस्या
- जहां नल से पानी आता है वहां भी पानी है दूषित
- पाइपलाइप लाइन में लीकेज के कारण आता है गंदा
पानी
- केंद्र सरकार ने 2014 में साफ पानी देने का
किया था ऐलान
- 2019 बीत रहा, लेकिन लोगों को नहीं मिला साफ
पानी
भारत
में जल की गुणवत्ता और जल प्रदूषण की समस्या बहुत गंभीर है... देश अपने नागरिकों
को स्वच्छ पानी की सुरक्षित पर्याप्त आपूर्ति नहीं करा पा रहा है.. हर साल चेन्नई,
बेंगलुरु,
शिमला,
दिल्ली जैसे
कई अन्य शहरों और गांवों में पानी की किल्लत से लोग हलकान हैं... 2018
में भारत सरकार की खुद की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत वर्तमान में सबसे खराब जल संकट
से गुजर रहा है... भारत के 84 प्रतिशत ग्रामीण घरों में पानी की
पहुंच नहीं है .. और 70 प्रतिशत से भी ज्यादा हमारे जल संसाधन दूषित
हैं.. वहीं दूषित स्रोत से सुरक्षित पानी की आपूर्ति करना बहुत महंगा और
चुनौतीपूर्ण है.
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भारत
में इस समय साफ पानी की बहुत बड़ी किल्लत है.. ज्यादातर ग्रामीण गंदा पानी पी रहे
हैं.. वहीं जो पानी पाइपलाइन से मिल रहा है उसमें भी लीकेज है.. बता दें कि भारत
में नगरपालिकाओं के पास सीमित क्षमता और संसाधन हैं... और किसी की भी कोई जवाबदेही
तय नहीं की गई है.. गंदा पानी के लिए भारत की जल उपचार क्षमता केवल 33 प्रतिशत
है.. और बाकी गंदा पानी सीधे नदियों, झीलों और यहां तक की भूमिगत जलवाहकों
में डाल दिया जाता है... बिहार और पश्चिम बंगाल में कई जिले जहरीले आर्सेनिक के
मिश्रण वाले दूषित जल से प्रभावित हैं.. वहीं ओडिशा और असम के लोग लोहा युक्त पानी
पीने को मजूबर हैं.
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गुजरात
और राजस्थान के लोग फ्लोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर हैं... और पंजाब का पानी
घातक यूरेनियम और सेलेनियम से दूषित है.. इन सभी को वैकल्पिक आपूर्ति या महंगे उपचार
की आवश्यकता है... प्रदूषित पानी को पीने का सीधा प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता
है... इसके परिणामस्वरूप खराब स्वास्थ्य, पोषण, पेट व त्वचा के
रोगों और महामारियों और यहां तक कि मृत्यु की आशंका बढ़ जाती है.. इससे बंद बोतल
में पानी का व्यापार तेजी से फलफूल रहा है....... जिसे गरीब भी खरीदने को मजबूर हैं.. अधिक
चिंता की बात ये है कि गरीबों, बच्चों, बुजुर्गों और
झुग्गियों और कॉलोनियों में रहने वाले बीमार लोगों को और गरीबी में धकेला जा रहा
है.. इस स्थिति को सुधारने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है..
आपको बता दें कि 2014 में मोदी सरकार में हर घर में जल पहुंचाने की
मुहिम शुरू हुई थी... केंद्र सरकार ने जल जीवन मिशन के तहत 18
करोड़ घरों में पाइप के जरिये पानी की आपूर्ति का एलान किया था.. लेकिन अब 2019 भी
बीत रहा है और देश की जनता अभी तक साफ पानी की बाट जोह रही है... केंद्र सरकार को
चाहिए कि वो कारगर योजना बनाएं और वैज्ञानिकों को इसमें शामिल करके इसका हल
निकाले... सरकार को ये सुनिश्चित करना होगा कि जल आपूर्ति एजेंसियों जो पानी घरों
में भेज रही है.. उसकी निगरानी हो.. वहीं झुग्गी बस्तियों, कॉलोनियों,
औद्योगिक
समूहों, सरकारी
स्कूलों और अस्पतालों को स्वच्छ पानी की आपूर्ति के लिए विशेष प्रावधान किए जाने
चाहिए... लेकिन फिलहाल जो देश के हालात है उसको देखकर तो यही लग रहा है कि देश की
जनता को साफ पानी पिलाना अभी दूर की कौड़ी है.. -संपादन सचिन शर्मा
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