अमेरिका ने दुनिया पर क्यों कसा तंज?
- अमेरिका बोला, उइगर मुस्लिमों पर क्यों चुप है
दुनिया
- चीन में बंदी उइगर मुसलमानों पर जताई चिंता
- अमेरिका ने कहा, अब कहां है मानवतावादी
- चीन में 10 लाख से ज्यादा उइगर मुस्लिम हैं
बंदी
- चीन इनसे सख्ती से पेश आता है
- नमाज और रोजा रखने पर है पाबंदी
- मस्जिदों में रखी जाती है कैमरे से निगाह
- संदेह होने पर मुस्लिमों को जेल में डाला जाता
है
चीन
ने अभी तक उइगर मुसलमानों के उत्पीड़न की खबर को दबाया हुआ था.. लेकिन धीरे धीरे
चीन की पोल अब खुलने लगी है.. दुनिया अब जानने लगी है कि कश्मीर पर मानवाधिकार का
मुद्दा उठाने वाला चीन अपने ही नागरिकों के साथ कैसा बर्ताव करता है.. आपको बता
दें कि चीन में उइगर मुस्लिमों के साथ बर्बरता की सारी हदें पार की जा रही हैं..
उइगर मुस्लिमों को ना केवल नमाज बल्कि रोजा रखने पर पाबंदी है.. यहीं नहीं
मस्जिदों में कैमरे के जरिये उन पर निगाह भी रखी जाती है.. इन्ही ज्यादतियों को
देखते हुए अब अमेरिका ने भी उइगर मुसलमानों का मुद्दा छेड़ दिया है.. अमेरिका ने
कहा कि छोटी छोटी बात पर मानवाघिकार का मुद्दा उठाने वाले देश उइगर मुसलमानों पर
हो रही हिंसा पर चुप क्यो हैं.
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अमेरिका
के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के नए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने चीन द्वारा बंदी
शिविरों में दस लाख से अधिक मुस्लिमों को रखने को लेकर दुनिया की चुप्पी की आलोचना
की है.. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ’ब्रायन ने ये भी
सवाल किया कि अगर चीन हॉन्गकॉन्ग में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों पर थियानमेन
चौक जैसी कार्रवाई करेगा.. तो क्या अंतरराष्ट्रीय नेता उसके खिलाफ खड़े होंगे.. बता
दें कि चीन में उइगर मुसलमानों पर होने वाले अत्याचार को लेकर दुनिया भर में अकसर
चर्चा होती रहती है. ब्रायन ने ने कहा कि हर बात पर बोलने वाली दुनिया अब कहां है?
उनहोंने कहा कि बंदी
शिविरों में दस लाख से अधिक लोग रह रहे हैं.. उन्होंने मुस्लिम देशों से पूछा कि
वो इस मसले पर चुप क्यों है... बता दें कि चीन ने जेल जैसे बंदी शिविरों में करीब 10
लाख से अधिक अल्पसंख्यक मुस्लिम उइगरों को बंद कर रखा है..
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बता
दें कि कुछ दिन पहले ही कुछ दस्तावेज लीक हुए थे.. इनसे पता चला था कि उइगर
मुस्लिमों को किस प्रकार उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है... लीक डॉक्युमेंट के
मुताबिक चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने खुद ही आदेश जारी करके कहा था कि चरमपंथ
और अलगाववाद पर कोई रहम न किया जाए.. बता दें कि कश्मीर में धारा 370 हटाए जाने के
बाद जब पाकिस्तान ने मानवाधिकार उल्लंघन के झूठे दावे किए थे.. तब भी चीन, पाकिस्तान
के साथ खड़ा दिखाई दिया था.. हालांकि उसके अपने देश में मानवाधिकारों की धज्जियां
उड़ाई जा रही हैं और उसपर दुनियाभर के देशों ने चुप्पी साध रखी है.
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इस्लाम
को मानने वाले उइगर समुदाय के लोग चीन के सबसे बड़े और पश्चिमी क्षेत्र शिंजियांग
प्रांत में रहते हैं. इस प्रांत की सीमा मंगोलिया और रूस सहित आठ देशों के साथ
मिलती है. तुर्क मूल के उइगर मुसलमानों की इस क्षेत्र में आबादी एक करोड़ से ऊपर
है. इस क्षेत्र में उनकी आबादी बहुसंख्यक थी. लेकिन जब से इस क्षेत्र में चीनी
समुदाय हान की संख्या बढ़ी है और सेना की तैनाती हुई है तब से यह स्थिति बदल गई है. बता दें कि शिनजियांग
प्रांत में रहने वाले उइगर मुस्लिम 'ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट'
चला
रहे हैं जिसका मकसद चीन से अलग होना है. दरअसल, 1949 में पूर्वी
तुर्किस्तान, जो अब शिनजियांग है, को एक अलग
राष्ट्र के तौर पर कुछ समय के लिए पहचान मिली थी, लेकिन उसी साल
यह चीन का हिस्सा बन गया. 1990 में सोवियत संघ के पतन के बाद इस क्षेत्र की आजादी
के लिए यहां के लोगों ने काफी संघर्ष किया. उस समय इन लोगों के आंदोलन को मध्य
एशिया में कई मुस्लिम देशों का समर्थन भी मिला था लेकिन, चीनी सरकार के
कड़े रुख के आगे किसी की एक न चली.
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फिलहाल इतना तो तय है कि उइगर मुसलमानों का मुद्दा
उठाकर अमेरिका ने नई बहस को जन्म दे दिया है.. लेकिन ये भी किसी से छिपा नहीं है
कि अमेरिका जब भी कोई मुद्दा उठाता है तो उसमें उसके हित छिपे होते हैं. अमेरिका
अच्छी तरीके से जानता है कि उइगर मुसलमानों का मुद्दा उठाकर वो चीन पर दबाव बना
सकता है.. बता दें कि इन दिनों अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार चल रही है.. इसलिए
भी अमेरिका उइगर मुसलमानों का मुद्दा उठा रहा है.. अमेरिका को ये नहीं भूलना चाहिए
कि हर देश में मानवाधिकार उल्लंघन के मामले होते हैं. लेकिन हां, इतना जरूर है कि
यहां मामला एक दो का नहीं बल्कि दस लाख उइगर मुसलमानो का है.. जिसकी चिंता पूरे
विश्व को करनी चाहिए. संपादन- सचिन शर्मा
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