इत्र कारोबारी पीयूष जैन के कन्नौज स्थित आवास से आठ बोरों में मिले कैस की गणना शुरू हो गई है। उसके ठिकानों से पहले ही 181 करोड़ की नकदी बरामद हो चुकी है। संभावना है कि कुल नकदी लगभग 290 करोड़ रुपये हो सकती है। अब सोचने वाली बात यह है कि पीयूष के पास करोड़ों की नकदी कहां से आई? जांच एजेंसियां इसकी छानबीन में जुटी हैं। जानकारी के मुताबिक एक प्रभावशाली कारोबारी से प्रतिस्पर्धा में पीयूष के काले कारनामों का कच्चा-चिट्ठा खुल गया। दरअसल, पीयूष बड़े पान मसाला कारोबारियों से डाइरेक्ट कंनेक्सन बढ़ाने में लग गया था, जो उसे खटक गया था। सूत्रों ने यह दावा किया है कि पीयूष के ठिकानों से मिला कैस हवाला कारोबार और एक बड़े पान मसाला कारोबारी का है।
कन्नौज में कंपाउंड किंग नाम से पीयूष और उसका भाई अमरीष जैन मशहूर हैं। इनका कंपाउंड (पान मसाला और इत्र में फ्लेवर के लिए मिलाया जाने वाला मिश्रण) का पुश्तैनी बिजनेस है। इनके दादा और पिता भी इसी कारोबार से जुड़े थे, लेकिन बेहद सीमित स्तर पर। दोनों भाई बीते 15 साल से काम देख रहे हैं, लेकिन इनका टर्नओवर भी बहुत ज्यादा नहीं है। इनकी दोनों भाईयों की गिनती कन्नौज के शीर्ष कारोबारियों की सूची में भी नहीं है। सूचना के मुताबिक इनका कारोबार गुजरात, मुंबई और कानपुर तक ही सीमित है। इस तरह का काम कन्नौज में बड़े पैमाने पर होता है। छोटे-छोटे कारोबारी बड़े पान मसाला कारोबारियों को कंपाउंड की आपूर्ति करते हैं।
सूत्रों के मुताबिक कन्नौज में इत्र और कंपाउंड के बिजनेस पर कुछ साल से एक सियासी पृष्ठभूमि वाले कारोबारी का एकाधिकार जैसा है। स्थानीय कारोबारियों से इत्र और कंपाउंड खरीदकर वह उस पर अपना टैग लगाकर बड़ी कंपनियों से डील करते हैं। इसमें उन्हें बड़ा मुनाफा होता है। इनसे पीयूष और अमरीष की अच्छी जान-पहचान होने के साथ कारोबारी डीलिंग भी रही। कुछ समय पहले जैन बंधुओं ने प्रभावशाली कारोबारी को बाईपास कर भारत की तीन बड़ी पान मसाला कंपनियों के साथ प्रत्यक्ष डीलिंग आरंभ कर दी।
इसमें शिखर पान मसाला समूह भी मौजूद है। 22 दिसंबर को DGGI (महानिदेशालय जीएसटी इंटेलिजेंस) ने शिखर पान मसाला के मालिक के घर भी छापा मारा था। सूत्रों ने दावा किया है कि जैन बंधुओं के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए कारोबारी ने पूरे गठजोड़ की सूचना DGGI को दे दी। जिसके बाद यह कार्रवाई हुई। जानकारी के मुताबिक शिकायत करने वाले कारोबारी या जांच एजेंसी के अफसरों को भी इस बात की उम्मीद नहीं थी कि पीयूष के ठिकानों से इतना बड़ा खजाना बरामद होगा।
एक अनुमान यह भी, जांच कर रहे अफसर
सूत्रों के मुताबिक पीयूष के आनंदपुरी स्थित आवास से मिले नोटों का खजाना बहुत पुराना नहीं हैं। सामने आया है कि इसी साल फरवरी में एक पान मसाला कारोबारी की कानपुर देहात स्थित पॉलिस्टर फिल्म फैक्ट्री में आग लगी थी। जिसमें करोड़ों के नुकसान की बात सामने आई थी। सूत्रों के मुताबिक, इसमें भी खेल हुआ था। प्लांट और मशीनरी को बेचने के बाद वहां जानबूझकर आग लगवाई गई थी। इसमें मशीनों की बिक्री से मिले रुपयों के अलावा करोड़ों रुपये का क्लेम भी लिया गया। यह रुपये पीयूष के घर में डंप किए गए थे। सूत्रों ने यह दावा किया है कि पीयूष ने अन्य कई कंपनियों के बेनामी धन को भी अपने यहां इकट्ठा कर रखा था। 22 दिसंबर को डीजीजीआई अहमदाबाद की टीम ने एक साथ शिखर पान मसाला, ट्रांसपोर्टर प्रवीण जैन और इत्र कारोबारी पीयूष जैन के यहां कार्रवाई की थी। अफसर फैक्ट्री में आग लगने के मामले की भी जांच कर रहे हैं।
नोटों में लिखे साल और नंबर की भी जांच
इतना ज्यादा कैस मिलने के बाद रुपयों की भी जांच की जा रही है। मसलन नोट किस साल जारी हुए, यह किस सिरीज की है, क्या एक ही सिरीज के हैं? इन बिंदुओं पर भी जांच कराई जा रही है, ताकि नोटों के स्रोत का पता लगाया जा सके।
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