वर्ष 2014 के बाद से भारतीय रेलवे में अनेक सकारात्मक बदलावों को अंजाम देने के लिए कई कड़े फैसले लिए गए। इस संदर्भ में एक उल्लेखनीय फैसला यह लिया गया कि रेल बजट को देश के आम बजट में ही समाहित कर दिया गया। इस प्रकार वर्ष 2016 में पहली बार इस संदर्भ में निर्णय लिया गया कि रेल बजट को अलग से प्रस्तुत नहीं करते हुए उसे आम बजट का हिस्सा बना दिया जाए। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017-18 में सरकारी निर्णय लिया गया कि रेल बजट और आम बजट दोनों का विलय होगा। इस तरह 93 वर्षो से चली आ रही प्रथा के साथ व्यावहारिक बदलाव करते हुए उसे नए तरीके से अंजाम दिया गया। वर्ष 2021 में भी भारतीय रेल का बजट, देश के आम बजट का हिस्सा ही रहा है।
अर्थव्यवस्था की दृष्टि से देखा जाए तो आम बजट में समाहित रेलवे से संबंधित लिए गए फैसले दर्शाते हैं कि सभी प्रकार की आशंकाओं को दूर कर दिया गया और एक महत्वपूर्ण विजन हमारे सामने आया, जिसमें रेल के विस्तार से संबंधित सोच और दिशा साफ होती दिखती है। इस संदर्भ में एक नई पहल की गई है, जिसे नाम दिया गया है-
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