हिन्दू धर्म के अनुसार, प्रदोष व्रत कलियुग में अति मंगलकारी और शिव कृपा प्रदान करने वाला होता है। माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल कहा जाता है प्रदोष के समय महादेव कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का स्तवन करते हैं। जो भी लोग अपना कल्याण चाहते हों यह व्रत रख सकते हैं। प्रदोष व्रत को करने से हर प्रकार का दोष मिट जाता है।
प्रत्येक माह में जिस तरह दो एकदशी होती है उसी तरह दो प्रदोष भी होते हैं। अलग-अलग दिन पड़ने वाले प्रदोष की महिमा अलग-अलग होती है। सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व है
सोमवार : को सोम प्रदोष कहते हैं। यह व्रत रखने से इच्छा अनुसार फल प्राप्ति होती है। जिसका चंद्र खराब असर दे रहा है उनको तो यह प्रदोष जरूर नियम पूर्वक रखना चाहिए जिससे जीवन में शांति बनी रहेगी। अक्सर लोग संतान प्राप्ति के लिए यह व्रत रखते हैं।
मंगलवार : को भौम प्रदोष कहते हैं। इस दिन स्वास्थ्य सबंधी की समस्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है। मंगलवार का दिन हनुमान
पूजन के लिए अति विशेष माना गया है।
इसके साथ ही यदि इस दिन प्रदोष तिथि हो तो अति उत्तम, क्योंकि प्रदोष तिथि शिवजी की प्रिय तिथि है। यह दिन भोलेनाथ की कृपा पाने का विशेष अवसर है।
मंगल (भौम) और प्रदोष का दिन शनि की साढ़ेसाती, मंगलजनित दोषों के निवारण, कर्जमुक्ति तथा अभीष्ट सिद्धि प्राप्ति के लिए यह दिन विशेष मायने रखता है। इस दिन निम्नलिखित सामग्री से शिवजी का अभिषेक एवं पूजन करना चाहिए|
आइए जानें.. पूजन की सामग्री...
सफेद पुष्प,सफेद फूलों की माला,आंकड़े का फूल,सफेद मिठाइयां, सफेद चंदन,जल से भरा हुआ कलश,बेलपत्र, धतूरा,भांग,आरती के लिए थाली, कपूर,धूप,दीप, शुद्ध घी (गाय का हो तो अतिउत्तम) ,सफेद वस्त्र ,हवन सामग्री एवं आम की लकड़ी ।
बुधवार : को सौम्यवारा प्रदोष कहते है यह शिक्षा एवं ज्ञान प्राप्ति के लिए किया जाता है। साथ ही यह जिस भी तरह की मनोकामना लेकर किया जाए उसे भी पूर्ण करता है। यदि आपमें ईष्ट प्राप्ति की इच्छा है तो यह प्रदोष जरूर रखें।
गुरुवार : को गुरुवारा प्रदोष कहते हैं। इससे आपक बृहस्पति ग्रह शुभ प्रभाव तो देता ही है साथ ही इसे करने से पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। अक्सर यह प्रदोष शत्रु एवं खतरों के विनाश के लिए किया जाता है। यह हर तर की सफलता के लिए भी रखा जाता है।
शुक्रवार :को भ्रुगुवारा प्रदोष कहते है। जीवन में सौभाग्य की वृद्धि हेतु यह प्रदोष किया जाता है। सौभाग्य है तो धन और संपदा स्वत: ही मिल जाती है। इससे जीवन में हर कार्य में सफलता भी मिलती है।
शनिवार : को शनि प्रदोष कहते है। इस प्रदोष से पुत्र की प्राप्ति होती है। अक्सर लोग इसे हर तरह की मनोकामना के लिए और नौकरी में पदोन्नति की प्राप्ति के लिए करते हैं।
रविवार : को भानुप्रदोष या रवि प्रदोष कहते हैं। इस दिन नियम पूर्वक व्रत रखने से जीवन में सुख, शांति और लंबी आयु प्राप्त होती है। रवि प्रदोष का संबंध सीधा सूर्य से होता है।
अत: चंद्रमा के साथ सूर्य भी आपके जीवन में सक्रिय रहता है। यह सूर्य से संबंधित होने के कारण नाम, यश और सम्मान भी दिलाता है। रवि प्रदोष रखने से सूर्य संबंधी सभी परेशानियां दूर हो जाती है।
रवि, सोम व शनि प्रदोष के व्रत को पूर्ण करने से अतिशीघ्र कार्यसिद्धि होकर फल की प्राप्ति होती है। प्रदोष रखने से आपका चंद्र ठीक होता है। चंद्र के सुधार होने से शुक्र भी सुधरता है और शुक्र सुधरने से बुध भी सुधर जाता है। मानसिक बैचेनी खत्म होती है।
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