First female teacher Savitribai Phule की पुण्यतिथि आज...


First female teacher Savitribai Phule की पुण्यतिथि आज

 आज देश की First female teacher Savitribai Phule की पुण्यतिथि है. सावित्रीबाई फुले ने अपना पूरा जीवन केवल लड़कियों को पढ़ाने और समाज को आगे बढ़ाने में लगा दिया. आज First female teacher Savitribai Phule की 190वीं जयंती है. आपको हम यह भी बता दें कि First female teacher Savitribai Phule का जन्म एक दलित परिवार में हुआ था. लेकिन फिर भी बचपन से ही उनका लक्ष्य था कि 'किसी के साथ भेदभाव ना हो और हर किसी को पढ़ने का अवसर मिले.' अपने इन्ही विचारों के चलते वह भारत की First female teacher Savitribai Phule, कवियत्री, समाजसेविका बनी, जिनका लक्ष्य लड़कियों को शिक्षित करना रहा.

First female teacher Savitribai Phule का जन्म 3 जनवरी, 1831 को महाराष्ट्र के एक दलित परिवार में हुआ. 9 साल की उम्र में उनकी शादी क्रांतिकारी ज्योतिबा फुले से हो गई, और उस समय ज्योतिबा फुले केवल 13 साल के थे. Savitribai Phule के पति क्रांतिकारी और समाजसेवी थे, और यह देखकर Savitribai Phule ने भी अपना पूरा जीवन इसी कार्य में लगा दिया.

First female teacher Savitribai Phule ने जीवनभर दूसरों की सेवा की-

10 मार्च 1897 को जब प्लेग फैला था तो उस समय प्लेग से ग्रसित मरीज़ों की सेवा करते हुए Savitribai Phule ने अपना जीवन त्याग दिया, उनका निधन हो गया. Savitribai Phule ने प्लेग से ग्रसित बच्चों की सेवा की और इसी वजह से उन्हें भी प्लेग हो गया. प्लेग से ही उनकी मृत्यु हो गई. वैसे Savitribai Phule ने अपने जीवन के कुछ लक्ष्य तय किए थे. जिनमें विधवा की शादी करवाना, छुआछूत को मिटाना, महिला को समाज में सही स्थान दिलवाना और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना शामिल थे. अपने इन लक्ष्यों को उन्होंने पूरा किया.

First female teacher Savitribai Phule की पुण्यतिथि आज

First female teacher Savitribai Phule के जीवन का एक किस्सा-

साल 1848 में सावित्रीबाई फुले स्कूल में पढ़ाने के लिए जाती थीं. उस दौरान Savitribai Phule फुले दो साड़ियों के साथ स्कूल जाती थीं, एक पहनकर और एक झोले में रखकर. जी दरअसल रास्ते में जो लोग रहते थे उनका मानना था कि शूद्र-अति शूद्र को पढ़ने का अधिकार नहीं है. इसी वजह से रास्ते में Savitribai Phule पर गोबर फेंका जाता था, और ऐसा होने से उनकी पहली साड़ी गन्दी हो जाती थी. वहां से निकलने के बाद स्कूल पहुंचकर Savitribai Phule दूसरी साड़ी को पहनती थी और फिर बच्चों को पढ़ाती थी. अंत में एक ऐसा समय आया जब उन्होंने खुद के स्कूल खोलना शुरू कर दिए और दलित बच्चियों को शिक्षित करना शुरू कर दिया. उनके कामों की जितनी तारीफ़ की जाए कम है.

First female teacher Savitribai Phule की पुण्यतिथि आज

 

First female teacher Savitribai Phule के द्वारा लिखी गई मराठी कविता का हिंदी उच्चारण- ''जाओ जाकर पढ़ो-लिखो, बनो आत्मनिर्भर, बनो मेहनती काम करो-ज्ञान और धन इकट्ठा करो ज्ञान के बिना सब खो जाता है. ज्ञान के बिना हम जानवर बन जाते है इसलिए, खाली ना बैठो,जाओ, जाकर शिक्षा लो दमितों और त्याग दिए गयों के दुखों का अंत करो, तुम्हारे पास सीखने का सुनहरा मौका है. इसलिए सीखो और जाति के बंधन तोड़ दो, ब्राह्मणों के ग्रंथ जल्दी से जल्दी फेंक दो.''

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