आइये जानें, क्यों बढ़ रहे रेप के मामले
- महिलाओं पर हो रहे अपराध का एक कारण सस्ता
इंटरनेट
- दुष्कर्मियों ने माना सस्ते डेटा से देख रहे
अश्लील फिल्में
- शराब के नशे में दे रहे वारदातों को अंजाम
- सस्ता इंटरनेट नाबालिग बच्चों को भी बिगाड़ रहा
- नाबालिग भी बहकावे में आकर कर रहे रेप
- बच्चों के हार्मोन्स में समय से पहले हो रहा
परिवर्तन
- हर बच्चे के हाथ में स्मार्ट फोन से बढ़ा खतरा
- माता-पिता भी नहीं छुड़ा पा रहे मोबाइल की लत
- मोबाइल में बच्चे देख रहे अश्लील फिल्में
- अपराधी सस्ते इंटरनेट का उठा रहे फायदा
- चीन ने किया था अश्लील वीडियो को बैन
- चीन में अपराधों में आई जबरदस्त कमी
- भारत सरकार नहीं कर रही कोई कार्रवाई!
- आखिर कब लगेगी अश्लील सामग्री पर रोक?
इंटरनेट
के एक तरफ जहां फायदे हैं तो वहीं दूसरी तरफ इसके नुकसान भी हैं... इंटरनेट से ना
केवल ज्ञान के अथाह सागर से आपका परिचय होता है.. वहीं इससे बहुत से काम सरलता से
निपट जाते हैं.. वहीं इंटरनेट के अपने कई नुकसान भी हैं.. इंटरनेट से ना केवल
अपराध बढ़ रहे हैं.. बल्कि नाबालिग बच्चे भी बिगड़ रहे हैं... दिल्ली के निर्भया
रेप कांड को कौन भूल सकता है.. इस रेपकांड ने पूरे देश में कोहराम मचा दिया था... वहीं
हाल ही में हैदराबाद की बेटी प्रियंका रेड्डी की रेप के बाद हत्या ने पूरे देश को
हिला कर रख दिया है.. आपको बता दें कि महिलाओं पर बढ़ते यौन अपराधों में लीड रोड
सस्ता इंटरनेट अदा कर रहा है.. सस्ते इंटरनेट की पहुंच ना केवल अपराधियों तक है...
बल्कि बच्चे भी इससे गुमराह हो रहे हैं.
अभी तक इंटरनेट को ज्ञान का सागर माना
जाता था.. लोग इंटरनेट के माध्यम से पढ़ाई करते थे.. और उससे सीखकर आगे बढ़ते
थे... इंटरनेट की वजह से बच्चों का मार्गदर्शन भी होता था.. बच्चे इंटरनेट की मदद
से काफी कुछ सीखते थे... लेकिन अब इंटरनेट का इस्तेमाल एक महामारी का रूप ले चुका
है.. इंटरनेट का ना केवल बेइंतिहां इस्तेमाल हो रहा है.. बल्कि इससे अब अपराध भी
बढ़ रहे हैं... अभी हाल ही में उप-राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने देश
में लगातार बढ़ रहे अपराधों पर चिंता जताई थी.. उन्होंने कहा था कि इंटरनेट पर
अश्लील सामग्री परोसी जा रही है... नायडू ने संसद की समिति से कहा था कि इसका कोई
हल निकाला जाए.. हालांकि संसदीय समिति ने नायडू की बात तो सुन ली लेकिन उसको वो
उपयोग में नहीं ला पाई..
आपको
बता दें कि टेलीकॉम कंपनियों के सस्ती दरों पर उपलब्ध कराए जा रहे डाटा का 80
प्रतिशत इस्तेमाल मनोरंजन और अश्लील सामग्री देखने में हो रहा है.. जबकि पहले इसे ज्ञान
बढ़ाने का आधार बताया गया था.. दुनिया भर के समाजशास्त्री, कानूनविद स्वीकार
रहे हैं.. कि बढ़ते यौन अपराधों का एक बड़ा कारण ये भी है.. चूंकि इंटरनेट पर
नियंत्रण विदेशी कंपनियों के हाथों में है... इसलिए वो हर तरह की अश्लील सामग्री
परोसकर भारतीय जनमानस के दिमाग को विकृत कर रही हैं,.. हालांकि अश्लील फिल्मों पर
जताई गई चिंता कोई नई बात नहीं है.. सर्वोच्च न्यायालय से लेकर केंद्र व
राज्य सरकारें भी इस पर चिंता जताती रही हैं.. लेकिन इन्हें प्रतिबंधित करने के अब
तक कोई सार्थक उपाय सामने नहीं आए.. सात साल पहले ‘निर्भया’
और
अब हैदराबाद की महिला पशु चिकित्सक के साथ हुए दुष्कर्म के कारणों में एक कारण
स्मार्टफोन पर उपलब्ध अश्लील फिल्में भी मानी जा रही हैं.. अश्लील फिल्में देखने
के बाद दुष्कर्मियों ने दुष्कर्म करना स्वीकारा है... लिहाजा ये तथ्य सच
के बहुत करीब है.
इंटरनेट
की आभासी और मायावी दुनिया से अश्लील सामग्री पर रोक की मांग सबसे पहले इंदौर के एक
युवक कमलेश वासवानी ने की थी.. उसने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा था कि इंटरनेट
पर मौजूद अश्लील साइटों पर रोक लगनी चाहिए.. उसने कहा था कि इससे अपराधों में बेपनाह
वृद्धि हो रही है.. वहीं कोर्ट में जब ये मामला गया तो सरकार ने
अपने हाथ खड़े कर दिये.. सरकार ने कोर्ट में कहा कि साइटों पर प्रतिबंध लगाना
मुश्किल है... क्योंकि इनका नियंत्रण विदेशी हाथ में है.. वहीं जहां भारत सरकार ने
अपने हाथ खड़े कर दिये.. वहीं चीन ने अश्लील साइटों पर एक झटके में प्रतिबंध लगाकर
मिसाल पेश की है.. बता दें कि चीन ने पहले वैज्ञानिकों और इंजीनियरों का एक पैनल
बनाया.. इसके बाद आई रिपोर्ट के बाद एक झटके में पोर्न साइको पर प्रतिबंध लगा दिया...
इस प्रतिबंध के बाद चीन में महिलाओं पर अत्याचार में बहुत बड़ी कमी आई है... ऐसे में
कैंद्र सरकार को भी चाहिए कि वो चीन की राह पर चले और पोर्न साइटों पर पूरी तरह से
प्रतिबंध लगाए..
EDITOR- SACHIN SHARMA
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