संविधान क्या है, क्यों लोकतांत्रिक देश में जरूरी होता है संविधान
70वां संविधान दिवस
70 साल में हुए 103 संशोधन
एक
हुआ असंवैधानिक
आज संविधान
दिवस है. आज से 70 साल पहले ही डॉ भीम राव रामजी
अम्बेडकर ने भारतीय संविधान का नींव रखे
थे...विश्व के सभी देश में संवैधानिक व्यवस्था है किसी देश में लिखित है तो किसी
देश में मौखिक संविधान है.....जो तय करता है कि उस देश की शासन प्रणाली किस तरह
होगी....तो आईये जानते है कि संविधान व्यवस्था क्या है.
किसी देश
का संविधान उसकी राजनीतिक व्यवस्था का वह बुनियादी सांचा-ढांचा निर्धारित करता है
जिसके अंर्तगत उसकी जनता शासित होती है.यह देश की विधायिका, कार्यपालिका ,
न्यायपालिका और गणमाध्यम जैसे प्रमुख अंगों की स्थापना करता है. संविधान उनकी
शक्तियों की व्याख्या करता है,उनके दायित्वों का सिमांकन करता है और उनके
पारस्परिक तथा जनता के साथ संबंधों का विनियमन करता है.लोकतंत्र में प्रभुसत्ता
जनता में निहित होती है.आदर्शतया जनता ही स्वयं अपने ऊपर शासन करता है.किंतु
प्रशासन की बढ़ती हुई जटिलताओं तथा राष्ट्र रूपी राज्यों के बढ़ते हुए आकार के
कारण प्रत्यक्ष लोकतंत्र अब संभव नहीं रहा.आजकाल के प्रतिनिधिक लोकतंत्रों में
जनता इस बात का निर्णय करती है कि उस उस पर किस प्रकार तथा किसके व्दारा शासन हो.
प्रत्येक संविधान उसके संस्थापकों तथा निर्माताओं के आदर्शों , सपनों तथा मुल्यों
का दर्पण होता है.वह जनता की विशिष्ट
समाजिक, राजनीतिक और आर्थिक प्रकृति , आस्था एवं आकाक्षाओं पर आधारित होता
है..... आज देश में 70 वीं संविधान दिवस है..जिसका
निर्माण डॉ भीम राव रामजी अम्बेडकर ने किया था...लेकिन अम्बेकर ने जिस भारत का
सपने देखे थे आज वो कही अंधरे में गुम होता जा रहा है.
संविधानवाद
एक ऐसी राज्य व्यवस्था की संकल्पना है,,जो संविधान के अंर्तगत हो तथा जिसमें सरकार
के अधिकार सीमित और विधि के अधीन हो..स्वेच्छाधारी सत्तावादी तथा सर्वाधिकारवादी
जैसे शासनों के विपरीत , संवैधैनिक शासन प्राय लोकतांत्रिक होता है तथा लिखित
संविधान के व्दारा नियमित होता है..लिखात संविधान मे देश के विभिन्न अंगों की
शक्तियों तथा उनके दायित्वों की परिभाषा तथा सीमांकन होता है..लिखित संविधान के
अंर्तगत स्थापित सरकार सांकुश सरकार ही हो सकती है..लेकिन यह भी संभव है कि
किन्हीं देशों में – ऐसे अनेक उदाहरण मिलते हैं..लिखित संविधान तो हो लेकिन
लोकतांत्रीक न हो ....कहा जाता है कि उनके पास संविधान तो है किंतु लोकतंत्र
व्यवस्था न हो ऐसे उदाहरण जैसे ब्रिटेन जहां लिखित संविधान नहीं किंतु लोकतंत्र और
संविधानवाद है... सबसे हैरान कि बात यह है कि दुनिया कि सबसे बड़ा लोकतांत्रीक देश
भारत में लिखित संकविधान के साथ साथ लोकतंत्र भी खतरे में है...भविष्य कीबात करे तो वर्तमान परिस्थिती को देखकर ये
रप्रतित होता है कि देश लोकतंत्रकी
बुनियादी को खत्म किया जा रहा है...आने वाले वक्त में शायद देश साम्रज्यवाद कि व्यवस्था की ओर विस्तार हो रहा
है...
विओ03....हमारे
संविधान की रचनाकार डॉ अम्बेडकर ने दुनिया की लिखित संविधान देशों कि अनुकरण
करकेविश्व के सबसे बड़ा और जटिल संविधान
की रचना की.हमारा वर्तमान संविधान - भारत
का प्रथम संविधान जो भारत के लोगों लोगों के लिए समर्पित किया गया ..संविधान सभा
व्दारा 26 नवंबर 1949 को अंगिकार किया गया था. यह 26जनवरी1950 को पुर्णस्वरूप लागू किया गया..संविधान में 22 भाग, 451
अनुच्छेद और 12 अनुसुचियां है...समय समय पर संविधान को संशोधित किया जाता
है...जिसमें कुछ अनुच्छेद संशोधन व्दारा हटायागया है...और कुछ संविधान क,ख,ग ...आदि करके नये अनुच्छेद शामिल किया गया
है...पिछले 70 वर्षों में 103
बार संविधान संशोधीत किया जा चुका है....संविधान में दो अहम अनुच्छेद है. मौलिक अधिकार और मूल कर्तव्य है.
मौलिक
अधिकार की बात करे ता इस में 6मौलिक
अधिकार कि बात कहा गया है...1.समानता की अधिकार..2. स्वतंत्रता का अधिकार..3. शोषण
के विरोध अधिकार ..4. धार्मिक अधिकार.. 5. शिक्षा के अधिकाकर . 6 संस्कृतिक तथा
भाषा का अधिकार. संपादन- चंदन दास
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