बैंक डूबा तो नहीं फंसेंगे आपके पैसे, इतने दिन में मिल जाएगी राशि- मोदी सरकार बदलने वाली है नियम

 अगर जिस बैंक में आपका पैसा जमा है और वह दिवालिया हो जाता है तो उसमें जमा रकम आप 90 दिन के भीतर वापस पा सकेंगे। दरअसल, सरकार डिपॉजिट इंश्योरेंस क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) एक्ट में बदलाव करने की योजना बना रही है, जिसमें वह ऐसी व्यवस्था करने पर विचार कर सकती है।


 अगर इसको मंजूरी मिलती है तो बैंक डूब जाने के बावजूद पांच लाख रुपये तक की जमा रकम 90 दिन के भीतर लोग निकाल पाएंगे। गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों के असफल होने पर डीआईसीजीसी कवर के लिए आसान और समयसीमा के अंदर निकासी का वादा किया था। वित्त वर्ष 2021 के बजट में वित्त मंत्री ने डीआईसीजीसी के तहत कवर की राशि को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने का ऐलान किया था। केंद्रीय वित्त मंत्री ने बजट में बैंक कवर बढ़ाए जाने संबंधी यह ऐलान पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक में हुए फ्रॉड के बाद किया था। वित्तीय संकट में फंसे यस बैंक ने भी बैंक में रोजाना की निकासी पर लिमिट लगा दी थी।

कमजोर वित्तीय स्थिति से जूझ रहे बैंक

देश के कई सरकारी बैंक इस समय कमजोर वित्तीय स्थिति से जूझ रहे हैं। इसको देखते हुए सरकार कई बैंकों को मिलाकर एक बैंक बना रही है। साथ ही निजीकरण की भी तैयारी है जिससे आने वाले दिनों में किसी बैंक के डूबने की नौबन न आए। बैंक डूबने से लाखों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

क्या है डीआईसीजीसी

डिपॉजिट इंश्‍योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) बैंक जमा रकम पर इंश्‍योरेंस मुहैया कराता है। यह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्ण स्‍वामित्‍व वाली कंपनी है। डीआईसीजीसी सभी तरह के बैंक डिपॉजिट को कवर देता है। इनमें बचत खाता, सावधि जमा (एफडी), करेंट और रिकरिंग डिपॉजिट शामिल हैं। इसकी सीमा 5 लाख रुपये तक होती है। इसका मतलब है कि बैंक में ग्राहकों की 5 लाख रुपये तक की जमा ही सुरक्षित है।

कभी 30 हजार तक की ही गारंटी थी

मई 1993 से पहले तक डिपॉजिटर को बैंक डूबने की परिस्थिति में उनके खाते में जमा 30,000 रुपये तक की रकम पर ही वापसी की गारंटी हुआ करती थी। वर्ष 1992 में एक सिक्योरिटी स्कैम के कारण इसमें बदलाव किया गया। तब बैंक ऑफ कराड के दिवालिया हो जाने के बाद इंश्योर्ड डिपॉजिट की रकम की सीमा बढ़ाकर 1 लाख रुपए की गई थी। फिर वित्त वर्ष 2021 के बजट में इसे बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया।

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