UTTARAKHAND GLACIER BREAK : जनिए क्या है ग्लेशियर पिघलने की असली वजह ?
UTTARAKHAND GLACIER BREAK उत्तराखंड में आई बाढ़ की वजह से गलेशियर पिघलने का मामला ज्यादा सक्रिय हो गया हैं। UTTARAKHAND GLACIER BREAK घटना की कारण हिमालय के ग्लेशियरों के झीलों में बदलाव के मामलें को अत्यन्त गंभीर रूप दे दिया है।
हालांकि मौसम वैज्ञानिकों ने UTTARAKHAND GLACIER BREAK
इस विषय पर काफी समय पहले ही चिंता जताई थी परंतु सरकार द्वारा इस मामले पर कोई कड़ी कारवाई नहीं की गई ।
कुछ समय पहले रिसर्च टीम का कहना था कि भारत नेपाल और चीन को बढ़ा खतरा जताते हुए कहा था कि हिमालय के ग्लेशियरों के दोगुनी रफ्तार से पिघलने के इन देशों को बढ़ा खतरा हो सकता है । इन में से 47 अत्यंत खतरनाक है।
अमेरिका में कोलंबिया विश्वविद्यालय के PHDविश्लेषक जोशुआ मोर्र ने कहा कि जून 2019 में, साइंस एडवांस जर्नल में वितरित विज्ञान डायरी में कहा गया है कि 1975 से 2000 के वर्षों में सामान्य तापमान अब 2000 से 2016 तक एक डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया था।
विश्लेषकों ने एक बार 650 से अधिक हिमनदों के उपग्रह चित्रों को तोड़ दिया है। यह पश्चिम से पूर्व की ओर 2000 किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है। 1975 से 2000 तक नरम हुई बर्फ की माप वर्ष 2000 से कई गुना अधिक हो गई है। जो कि कई देशों के लिए चिंताजनक विषय है।
त्रासदी के बाद केंद्र और राज्य सरकारें हरकत में आ गईं_
UTTARAKHAND GLACIER BREAK ITBP (Indo-Tibetan Border Police ) के साथ-साथ भारतीय सेना
भारतीय वायु सेना (IAF), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (NNCMC) को भी खोज और बचाव कार्यों के लिए तैनात किया गया है।
ANI के अनुसार, रक्षा अधिकारियों ने आगे कहा है कि दो C-130J हरक्यूलिस राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल की तीन कंपनियों के साथ और 15 टन अन्य भार और उपकरण गाजियाबाद में हिंडन एयरबेस से भेजे गए थे।
जबकि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी नेUTTARAKHAND GLACIER BREAK मृतक के परिजनों के लिए प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF) से प्रत्येक के लिए 2 लाख रुपये की छूट दी है, राज्य सरकार ने भी 4-2 लाख रुपये की वित्तीय सहायता का वादा किया है।
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