Ghazipur border :
Ghazipur border और Pak border की एक-दूसरे तुलना करने लगी अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर.
अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर सहित कई बड़े नेताओं को पुलिस ने धरने वाली जगह पहुँचने से पहले ही रोक दिया था.
Ghazipur border राजनीतिक सियासतों का केंद्र बन चुका है. Ghazipur border पहुँचकर सांसदो ने करी किसानों से बातचीत करी और उनको अपना सर्मथन देने की बात भी कही.
दिल्ली का Ghazipur border इस वक्त राजनीतिक सियासत से घिरा हुआ है. धीरे-धीरे सारी राजनीतिक पार्टियों के नेता धरना स्थल पर पहुँचकर किसान आंदोलन को अपना सर्मथन दे रहे हैं.
आज वहां अकाली दल समेत 8 राजनीतिक दलों का सांसद एक दस्ता पहुंचा हुआ था. सांसदों ने वहाँ हालात का जायजा लिया और किसानों से बातचीत कर उनकी मुश्किलें जानीं.
Ghazipur borderपहुंचे सभी विपक्षी सांसदों ने कहा, कि हम लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से मिलेंगे और उन्हें पूरे हाल से अवगत कराएँगे.
विपक्ष के सांसदों की टीम में अकाली दल सांसद हरसिमरत कौर, एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले, डीएमके सांसद कनिमोझी, टीएमसी सांसद सौगत रॉय मौके पर मौजूद रहे.
इन सांसदों को दिल्ली पुलिस ने धरना स्थल से पहले ही रोक दिया था. बाद में सांसदों ने कुछ किसान नेताओं से मुलाकात कर उनकी तकलीफ को समझा किया और उनकी बातें लोकसभा अध्यक्ष तक पहुँचाने की बात कही.
इस मौके पर अकाली दल से सांसद हरसिमरत कौर ने कहा कि यहां 3 किलोमीटर तक बैरिकेडिंग लगी हुई हैं, ऐसे में किसी ने सोचा है कि किसानों की क्या हालत हो रही होगी, हमें भी यहां रोका जा रहा है.
बता दें कि किसी भी तरीके की सियासत से दूर रखने के लिए धरना स्थल पर किसी को जाने की अनुमति नही दी जा रही है. आगे उन्होनें कहा कि हमें भी उनसे मिलने नहीं दिया जा रहा है , और उन्होनें अपनी बात में Ghazipur border को Pak border से तुलना करते हुए कहा कि 13 लेवल की बैरिकेडिंग की गई है,
इतना तो हिंदुस्तान के अंदर Pak border पर भी नहीं होता है, हमें संसद में भी इस मुद्दे को उठाने का मौका नहीं दिया जा रहा है. यह बात उन्होनें ऐसे मौके पर कही जब एक छोटी-सी बात भी लोगों को भड़का सकती है, और वहाँ के हालात बिगाड़ सकती है.
अकाली दल सांसद की सांसद हरसिमरत कौर सहित विपक्ष के 15 सांसद जो की दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंच चुके थे, तभी वहाँ बॉर्डर से कीलों की पट्टियाँ उखाड़ने का काम चल रहा था.
बॉर्डर पहुंचे सांसदों को बैरिकेड के दूसरी तरफ जाने से पहले ही दिल्ली की साइड में रोक दिया गया था, दूसरी तरफ यानी गाजियाबाद की ओर जहाँ लोहे के कीलों की इन पट्टियों को हटाने का सिलसिला शुरू हो गया था. वहाँ लगी कीलों को सिर्फ एक ही कर्मचारी सबको हटा रहा था और उसे कोई भी नही रोक रहा था.
उनसे हुई हमारी बातचीत में यह जवाब मिला कि, 'मैं एक छोटी दुकान से आया हूं और मुझे कहा गया है कि इन कीलों को यहां से हटा दिया जाए, लेकिन मुझे यह नहीं पता कि आखिरकार किसके आदेश पर इसे हटाया जा रहा है.
तब तक वहां आसपास के किसान भी इकट्ठा होने लगे, जो पहले ही इस बात से नाखुश थे कि उन्हें रोकने के लिए बॉर्डर से ज्यादा कड़ी सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं.
तकरीबन आधे घंटे तक चले इस पूरी प्रक्रिया में मेहनत करने के बाद उस कर्मचारी ने कीलो की लगी हुई पट्टियों को हटा ही दिया है.
पट्टियां हटने के बाद में पूर्वी दिल्ली के एक सीनियर अधिकारी ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि कीलों को सिर्फ उन रास्तों से हटाया जा रहा है,
जहाँ पर आवाजाही रूकने से पब्लिक को परेशानी हो रही थी, इसके बाद उन्होनें बताया कि हम इन्हें दोबारा उन सड़कों पर लगाएंगे, जहां इनकी जरूरत ज्यादा महसूस होगी.
Digital Desk Published By: Anurag Singh
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